पेरिस में बिहार का लहराया परचम,द यूनियन वर्ल्ड कांफ्रेंस ऑन लंग हेल्थ का हुआ आयोजन
Patna:- गत सप्ताह पेरिस, फ्रांस में आयोजित “द यूनियन वर्ल्ड कांफ्रेंस ऑन लंग हेल्थ 2023” में बिहार के स्वास्थ्य सचिव सह कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार, संजय कुमार सिंह के द्वारा प्राइवेट चिकित्सकों के माध्यम से उपचार करा रहे टीबी रोगियों के नोटिफिकेशन में परिलक्षित उत्कृष्ट प्रदर्शन का प्रस्तुतीकरण किया गया. बिहार से राज्य स्वास्थ्य समिति के अतिरिक्त इन्नोवेटर्स इन हेल्थ तथा विलियम जे क्लिंटन फाउंडएशन के भी शोध पत्रों का भी प्रस्तुतीकरण किया गया.
द यूनियन के द्वारा आयोजित कांफ्रेंस में विभिन्न देशों से प्राप्त कुल 2424 शोध पत्रों में से 977 पेपर्स को प्रकाशित करने के लिए चयनित किया गया जिनमे से बिहार राज्य में वर्ष 2020 के जून महीने में पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एजेंसी के माध्यम से प्राइवेट सेक्टर में उपचार करा रहे टीबी रोगियों का निक्षय पोर्टल पर नोटिफिकेशन कराने तथा ऐसे रोगियों को भी राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त निशुल्क सुविधाएँ यथा ड्रग सेंसिटिविटी टेस्ट, ब्लड शुगर, एचआईवी टेस्ट, निक्षय पोषण योजना का लाभ पहुंचाने के लिए रोगियों के बैंक खाता की जानकारी प्राप्त करने एवं रोगियों के नियमित उपचार के अनुश्रवण के लिए गैर सरकारी संगठनों के साथ एमओयू को शामिल किया गया.
संजय कुमार सिंह ने बताया कि राज्य में टीबी नोटिफिकेशन तथा अन्य मानकों पर आशातीत प्रगति को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है. भारत सरकार के वार्षिक टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार राज्य में कुल 1,61,165 टीबी रोगियों में से 82,157 रोगी प्राइवेट सेक्टर के द्वारा नोटिफाई किये गए हैं. वर्ष 2022 में पब्लिक सेक्टर से कुल 79,008 टीबी रोगियों का नोटिफिकेशन हुआ.
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2021 तक अधिसूचित टीबी रोगियों के एचआईवी एवं ब्लड शुगर जांच में 91% तथा 79% वृद्धि दर्ज की गयी है. प्राइवेट से उपचार करा रहे टीबी रोगियों के उपचार की सफलता दर में 40% (2017) से 87% (2021 ) की प्रगति से प्रेरित होकर राज्य के अन्य जिलों में भी इसे संचालित करने के लिए निविदा प्रक्रिया पर काम चल रहा है. वर्तमान में राज्य के 19 जिलों में पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एजेंसी कार्यरत है.
राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, यक्ष्मा डॉ. बाल कृष्णा मिश्र के द्वारा प्राइवेट सेक्टर की सहभागिता को मजबूती प्रदान करने के लिए देश में किये जा रहे प्रयासों का विस्तृत प्रस्तुतीकरण किया गया एवं सत्र की अध्यक्षता बीएमजीएफ के गायिज स्टालवर्दी किया गया. डॉ. मिश्र ने बताया कि टीबी को वर्ष 2012 में देश में अधिसूचनीय रोग की श्रेणी में शामिल किया अर्थात सभी चिकित्सक सरकारी एवं गैरसरकारी, प्रयोगशालाओं के द्वारा टीबी के मरीज नोटिफाई होने पर निक्षय पोर्टल में दर्ज करना अनिवार्य है. वर्ष 2013 में टीबी की दवाओं को शिडयूल एच-1 में शामिल करना महत्वपूर्ण कदम है क्यूंकि सभी दवा विक्रेताओं को टीबी की दवा जिन रोगियों को बेचीं गयी उसकी पूरी जानकारी तथा डॉक्टर के पर्चे को संधारित करना अनिवार्य है.