मुन्ना भाई MBBS का प्रयोग:दवा से जल्द मिल रही मुक्ति:मरीजों की थमती सांसों में जान फूंक रहा है शास्त्रीय संगीत
पटना।दोस्तों आपने मुन्ना भाई MBBS फिल्म तो देखी ही होगी जिसमे मरीजों को गाने सुना कर ठीक किया जता है,अब वह हकीकत बनने जा रहा है ।भागलपुर।शहर के एक अस्पताल में मरीजों की थमती सांसों में शास्त्रीय संगीत के जरिए जान फूंकी जा रही है। बेहोश मरीजों के होश में आने की अवधि घट गई है तो बढ़ते-घटते रक्तचाप के शिकार लोगों को भी म्यूजिक थैरेपी से फौरी राहत मिल रही है। पिछले सात महीने से डॉक्टर और म्यूजिक एक्सपर्ट द्वारा संयुक्त रूप से आईसीयू में भर्ती सौ से अधिक मरीजों पर किए जा रहे रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है।
इस थैरेपी को लेने वाले मरीजों में एक बात और भी देखी गई कि पहले जहां ऐसी ही स्थिति से जूझ रहे मरीजों को ठीक होने में दस से पंद्रह दिन तक लगते थे, अब उन्हें सात से दस दिन लग रहे हैं। मरीजों में चिड़चिड़ापन, दर्द के कारण व्याकुलता जैसे सिस्टम पर संगीत का असर दिखता है। थैरेपी का सबसे अधिक लाभ पचास पार उम्र के मरीजों में देखा गया, वहीं टेंशन, मस्तिष्क अपघात, अवसाद पीड़ितों में बड़ा बदलाव चिह्नित किया गया।
एडवांस ट्रामा एंड मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजोंं पर किए जा रहे इस रिसर्च में पाया गया कि संगीत की दोनों विधा वोकल और इंस्ट्रूमेंटल का अलग-अलग असर मरीजों पर पड़ता है। वहीं, अलग-अलग रोगों में अलग- अलग राग के प्रयोग से मरीज जल्द स्वस्थ हुए।
1 बिहार में पहली बार अस्पताल में म्यूजिक थैरेपी से चिकित्सा 2 आईसीयू में भर्ती सौ से अधिक मरीजों पर किया गया है रिसर्च 3 बीपी, टेंशन मस्तिष्क अपघात, अवसाद पीड़ितों में बड़ा बदलाव
मरीजों का मन बेचैन हो तो सुनाते हैं राग दरबारी कान्हड़ा
रिसर्चर श्रेया दत्ता बताती हैं कि कई मरीज बेचैनी में होते हैं। कुछ लोगों का एक्सीडेंट में अंग-भंग हो चुका होता है।अथवा कोई किसी अन्य परेशानी में होता है। ऐसे में कई रागों के प्रयोग के बाद देखा गया कि दरबारी कान्हड़ा सुनने के बाद उनकी बेचैनी में कमी आई।
नींद नहीं आने की समस्या (इनोसोमेनिया) के पीड़ितों को पियानो की साफ्ट धुन, बांसुरी, 432 हर्ट्ज पर सेलटिग वाद्य संगीत, वन्य पक्षियों के कलरव व समुद्र की लहरों की ध्वनि राग यमन व राग नीलांबरी में सुनाते हैं। उच्च रक्त चाप से पीड़ित मरीजों को राग भैरवी व यमन सुनाया जाता है तो लो बीपी पीड़ितों को सितार पर राग मालकोंश सुनाया जाता है।