Patna News;चाचा-भतीजे में खिंची तलवार,हाजीपुर सीट नहीं छोड़ेंगे पारस,इस कार्यक्रम को पटना से हाजीपुर किया शिफ्ट
Patna News;बिहार में पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की विरासत को लेकर विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. एक ओर बेटे चिराग पासवान हाजीपुर सीट पर दावा ठोक रहे हैं, उनका कहना है कि वो रामविलास पासवान के असली वारिस हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने रविवार को स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी हाजीपुर सीट को नहीं छोड़ेंगे. इस दौरान उन्होंने अपने भतीजे और जमुई से सांसद चिराग पासवान को फटकार भी लगाई है.
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की एक बैठक के बाद पशुपति पारस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. लोक जनशक्ति पार्टी के विभाजन के बाद दोनों पशुपति गुट को इसी नाम से जाना जाता है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, हम हर साल 28 नवंबर को एलजेपी का स्थापना दिवस मनाते हैं. हम इस साल भी ऐसा करेंगे, फर्क सिर्फ इतना है कि समारोह पटना के बजाय हाजीपुर में होगा, जो दिवंगत राम विलास पासवान की कर्मभूमि रही है.
‘इनकी प्राथमिकता में ही नहीं बिहार’, नीतीश पर चिराग का वार
जब उनसे पूछा गया कि जगह में बदलाव उनके भाई रामविलास की विरासत पर दावा करने के लिए ताकत साबित करना है तो इस पर उन्होंने कहा, यह एक बदलाव होगा. यह हर साल एक जैसा भोजन करने की बजाय अलग व्यंजन आजमाने जैसा है.
2021 में एलजेपी में हुई फूट
केंद्रीय मंत्री पशुपति ने साल 2021 में चिराग की अध्यक्षता में एलजेपी में अलग गुट बना लिया था. जब उनसे पूछा गया कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए कितनी सीटें चाहते हैं. उन्होंने कहा, साल 2019 में बिहार में एनडीए में तीन दल शामिल थे और तब 39 सीटें जीतीं थीं. अब इसमें केवल दो दल हैं. हम बीजेपी के एकमात्र स्थिर सहयोगी हैं. ऐसे कई लोग हैं जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
पशुपति पारस का इशारा चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की ओर था. इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक जनता दल और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी उनके निशाने पर थे. बता दें कि एलजेपी (रामविलास) से चिराग एकमात्र सांसद हैं, जबकि अन्य दलों का संसद में कोई सदस्य नहीं है.
हम 5 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव: पशुपति पारस
पारस ने कहा, ”मौजूदा लोकसभा में हमारी पार्टी के कुल पांच सांसद हैं. हम इन सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और बिहार में एनडीए को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करेंगे.”
जब बताया गया कि जमुई सांसद ने रामविलास पासवान की सीट रही हाजीपुर से अपनी मां रीना को मैदान से उतारकर दावा करने की कोशिश कर रहे हैं तो केंद्रीय मंत्री ने मजाकिया अंदाज में कहा, “उन्हें पहले हमें बताना चाहिए कि वह किस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनका दल नहीं दलदल है.
पशुपति पारस ने रामविलास पासवान के निधन के कुछ ही महीनों बाद अपने भतीजे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. उन्होंने साल 2020 के विधानसभा चुनावों में चिराग की आक्रामकता को अस्वीकार कर दिया था. जब एलजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश द्वारा लड़ी गई सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से कई भाजपा के बागी थे. इससे जेडीयू की सीटों में कमी आई और सीएम-बीजेपी के बीच अविश्वास के बीज बोए गए, जिसकी वजह से बीते साल नीतीश कुमार को एनडीए से बाहर होना पड़ा.
एलजेपी में विभाजन के कारण चिराग पार्टी में अलग-थलग पड़ गए, सभी सांसदों ने उनका साथ छोड़ दिया और पारस के साथ चले गए, जिन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली. चाचा और भतीजे दोनों के अपने-अपने गुट के “असली” एलजेपी होने के प्रतिस्पर्धी दावों के साथ आने से कानूनी विवाद शुरू हो गया. हालांकि चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को अलग-अलग राजनीतिक संस्थाओं के रूप में मान्यता देते हुए पार्टी चिन्ह को जब्त करने का आदेश दिया.