चौसा पॉवर प्लांट के गेट पर जमे किसान…काम ठप:359 दिन से जारी है आंदोलन,प्रशासन की बात मानने से किया इंकार
पटना।बक्सर.चौसा थर्मल पावर प्लांट के निर्माण का काम एक बार फिर बाधित हो गया है। 359 दिन से धरने पर बैठे किसान मंगलवार की सुबह मेन गेट के पास पहुंचे। अब वहां राशन-पानी के साथ टेंट लगाकर अनिश्चितकालीन धरने के लिए बैठ गए हैं। बगल में ही भोजन बनाया जा रहा है। किसान रात-दिन गेट पर ही बैठने का मन बना चुके हैं। इससे आगे भी थर्मल पावर का निर्माण कार्य प्रभावित रहने की उम्मीद है।
मंगलवार को किसानों ने जिला प्रशासन की कोई भी बात मानने से इनकार कर दिया है। किसानों ने कहा कि हमारे लिए बनाई गई पॉलिसी को लिखित तौर पर लागू करने के बाद ही मुख्य गेट के पास से धरना हटेगा।
किसान अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि 17 अक्टूबर 2022 से हमने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन की शुरुआत की थी। लेकिन एक साल तक कंपनी के अधिकारियों की नींद नहीं टूटी। न ही हम किसानों से बात करने के लिए कोई आया। जिन किसानों को समन्वय समिति में शामिल किया गया है, वो किसान कम, नेता ज्यादा हैं। खुद लाभ उठाने के लिए प्रशासन और कंपनी दोनों की जी हुजूरी कर रहे हैं। मजबूरी में मंगलवार को हम लोगों ने मुख्य गेट को जाम किया। यह धरना प्रदर्शन तब तक इस गेट पर से नहीं हटेगा, जब तक हमारे समस्या का निदान नहीं हो जाता है।
क्या बोले SDO
इस संबंध में मौके पर मौजूद सदर SDO धीरेंद्र मिश्रा ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से किसी को प्रदर्शन करने से किसी को रोका नहीं जा सकता है। लेकिन वह प्रदर्शन प्लांट का काम बाधित करना, प्लांट के मजदूरों को डरा धमका कर वापस भेजने का रूप नहीं लेना चाहिए। बात यह है कि हमारी बात सुनी नहीं जा रही है। तो प्रशासन इस मामले में जो बेस्ट कर सकता था, वह यह कि एक मंच उपलब्ध करा सकता था।
उन्होंने कहा कि एडीएम की अध्यक्षता में एक समन्वय समिति का गठन किया गया है। बातचीत का जब मंच दे दिया गया तो उसमें अपनी बात रखनी चाहिए थी। हालांकि अभी लग रहा है कि इनकी वह मंशा नहीं है। इसकी दूसरी बैठक 19 अक्टूबर को रखी गई है।
क्या बोले सदर SDPO
बक्सर SDPO धीरज कुमार ने बताया कि अभी तक तो सब कुछ शांतिपूर्ण ही चल रहा है। उम्मीद है कि आगे भी वह लोग शांतिपूर्वक ही अपना आंदोलन रखेंगे। तत्काल अभी कोई परेशानी नहीं हुई है। फोर्स के साथ मजिस्ट्रेट की भी तैनाती कर दी गई है। आगे किसानों से हम यही अपील करेंगे कि गेट जाम करने से कुछ हासिल नहीं होगा। जो भी समस्या का समाधान होगा, बातचीत से ही होगा। किसानों को बात करनी चाहिए।
बता दें कि मंगलवार की सुबह गेट जाम के दौरान किसानों की प्रशासन से थोड़ी झड़प हो गई थी। सभी किसान मुख्य गेट के पास बैठ गए थे, जिस कारण थर्मल पावर का निर्माण कार्य प्रभावित हो गया। धरना की सूचना पर कॉलोनियों से मजदूर भी नहीं निकले। थर्मल पावर मुख्य गेट के अंदर और बाहर भारी संख्या में पुलिस पदाधिकारियों के साथ दंगा नियंत्रण पुलिस भी है। किसान गेट के पास बैठकर नारेबाजी कर रहे हैं।
तीसरी बार किसानों ने मुख्य गेट जाम किया
किसानों ने तीसरी बार मुख्य गेट को जाम किया है। पहली बार 10 जनवरी को जाम किया गया था। इसके बाद आधी रात को छत के रास्ते पुलिस किसानों के घर में घुस गई थी। इसके बाद 11 जनवरी को उपद्रव के दौरान थर्मल पावर प्लांट में प्रशासन और कंपनी के 25 वाहनों को फूंक दिया गया था। उपद्रव में 11 पुलिस कर्मी भी जख्मी हुए थे। कंपनी को 25 करोड़ का नुकसान हुआ था।
चौसा में 1320 मेगावाट थर्मल पावर का निर्माण चल रहा है। 2019 के मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली इसका शिलान्यास किया था। इसके लिए किसानों की 1058 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई। भूमि पर थर्मल पावर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। हालांकि 2021 में थर्मल पावर के मुख्य अंग रेल कॉरिडोर और वाटर पाइप लाइन के लिए किसानों की और जमीन का अधिग्रहण करने का नोटिस आया था।
इसके बाद किसानों ने जमीन के मुआवजे को लेकर विरोध शुरू कर दिया। आरोप है कि जमीन की कीमत 2013 में जिस हिसाब से दी गई थी, उसी हिसाब से 2021 में भी जमीन का पैसा दिया जा रहा था। किसानों ने इसे लेने से मना कर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया।