पटना मे बननी थी बिजली, बना कूड़े का पहाड़,किसानों ने छोड़ी खेती, सवाल पूछने पर झल्लाए नगर आयुक्त
पटना।77.59 एकड़ में फैले बिहार के सबसे बड़े डंपिंग यार्ड बैरिया में आज तबाही मची हुई है। यहां कभी बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पार्षद की ओर से कमपोस्ट प्लांट, आ.डी.एफ प्लांट, पावर प्लांट, भूमि भरण स्थल, जल शोधन संयत्र लगाने की बात कही गई थी। वहां लिचेट और प्रदूषण से तबाही मची हुई है। पानी, हवा, मिट्टी प्रदूषित हो गई है। आसपास के किसानों ने कचरे से निकलने वाले लिचेट के चलते खेती छोड़ दी है। खेतों में लिचेट बह रहा है। डर से आसपास जिनकी खाली बची हुई जमीन है, उसपर घर नहीं बना पा रहे हैं। इलाके में बैरिया डंपिंग यार्ड के चलते ये स्थिति उत्पन्न हो गई है कि मच्छर, मक्खी, धूल और बदबू वाली हवा से जीना मुहाल हो गया है। आस-पास कई घर भी लोग खाली कर के दूसरी जगह चले गए हैं। वहीं जब इस मामले में पटना के नगर आयुक्त अनिमेष पराशर से जब सवाल पूछा गया तो वह झल्ला गए और कहा कि ‘ये क्या बात हुई हम आफिशियल देंगे आपको सारा चीज’।
नहीं लगा कोई संयंत्र
जन सुनवाई के दौरान आस-पास के लोगों को यह जानकारी दी गई थी कि धूल कण से राहत दिलाने के लिए बैग फिल्टर और वेट स्क्रवर लगाया जाएगा। लिचेट (लिक्विड कचरा) और गंदे पानी को साफ करने के लिए बहिस्राव उपचार संयंत्र यानी इफलुएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा, लेकिन इसे बीते 12 वर्षों में कभी धरातल पर नहीं उतारा जा सका, केवल फाइलों और सुनवाई तक ही सिमटकर ये योजना रह गई। कचरा से प्लास्टिक और अन्य चीजों को अलग करने वाले प्लांट भी लगे थे, वो भी डंपिंग यार्ड में कचरे के साथ बहरहाल जंग खा रहे हैं।
ग्राम पंचायत ने नहीं दिया था NOC
कचरा डंपिंग यार्ड के लिए जब जमीन अधिग्रहण की जा रही थी। उस समय भी ग्राम पंचायत के द्वारा विशेष आम सभा बुलाकर 27 दिसंबर 2006 को आपत्ति दर्ज कराई गई थी, लेकिन इसे नजरंदाज कर दिया गया।
किसानों ने छोड़ दी है खेती
कचरा डंपिंग यार्ड के आस पास के गांवों के किसानों ने खेती छोड़ दी है। मनोहरपुर कछुआर के किसान अरुण कुमार ने बताया कि कचरे के चलते बीते 10 वर्षों से खेती नहीं कर पा रहे हैं। इसकी शिकायत ब्लॉक से लेकर जिला तक की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। किसान मनोज कुमार ने बताया कि कचरे के पास की जमीन खाली है। यहां खेती अब नहीं करते हैं। छोड़ दिया है। क्योंकि फसल लगाते हैं कभी बरसात के समय पानी गिरता है, कचरे का पानी उसमें मिल जाता है और पूरा फसल बर्बाद हो जाता है। पूंजी भी लग जाता है, कुछ निकल भी नहीं पाता है। कचरे के पानी के चलते जल जाता है। हमलोगों ने बहुत आंदोलन किया। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।
किसानों की मर्जी के बगैर ली गई थी जमीन
याचिकाकर्ता राकेश कुमार ने बताया की 2006 से ही हमलोग लड़ाई लड़ रहे हैं। ग्राम सभा की आपत्ति के बाद भी जबरन किसानों से जमीन ली गई थी। उस वक्त अनन फानन में डंपिंग यार्ड को बना दिया गया। हमलोगों को 2011 में ही राज्य प्रदूषण नियंत्र पर्षद की ओर से जनसुनवाई के दौरान बताई गई थी कि डंपिंग यार्ड के चारो तरफ पेड़ लगेगा। बाउंड्री होगी। कचरा को अलग-अलग कर के खाद और बिजली बनेगी, लेकिन धरातल पर हमलोगों ने देखा कि कुछ नहीं हो रहा है। इसके बाद माननीय न्यायालय के शरण में गए जहां CWJC 20570/12 पर सुनवाई चल रही है। अब वहीं से हमलोगोंं को न्याय की उम्मीद है। याचिकाकर्ता नरेश कुमार ने बताया कि हम किसान हैं। डंपिंग यार्ड के चलते जीना मुश्किल हो गया है। जिंदगी नरक बन गई है। खेती भी चौपट हो गई है, जो कचरे से पानी निकलता है, उससे फसल जलकर राख हो जाती है। मच्छर, मक्खी, बदबू और धुएं के बीच जीवन कट रहा है। न्यायालय में मामला चल रहा है। न्यायालय से ही आखिरी उम्मीद है।
धुएं से घुटन महसूस होता है
स्थानीय नागरिक धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि ये कूड़े का जो पहाड़ खड़ा है। इसका रूप हमेशा बदलते रहता है। गर्मी के दिनों में आग और धुआं निकलता है। ठंड के समय में इससे स्मॉग बनाता है जो कचरे के आस-पास में फैल जाता है। जिससे सांस लेने में भारी परेशानी होती है। इस कचरे से लाखों की आबादी प्रभावित हो रही है। जिस ओर हवा चलती है धुआं उधर जाने लगता है और उधर के लोग परेशान होने लगते हैं।
स्थानीय नागरिक सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा ने बताया कि 12 वर्षों से इस कूड़े को झेल रहे हैं। न्यायालय में हमलोगों की लड़ाई भी चल रही है, लेकिन न्यायालय जब भी बीच बीच में आदेश करता है अधिकारी खानापूर्ति के लिए आते हैं और देखकर चले जाते हैं। समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। कूड़ा का पहाड़ खड़ा हो गया है।
क्या बोले नगर आयुक्त
दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने जैसे ही पटना के नगर आयुक्त अनिमेष पराशर से बैरिया डंपिंग यार्ड को लेकर उनका पक्ष जानना चाहा, लिचेट और प्रदूषण को लेकर सवाल पूछा तो आयुक्त ने मुंह मोड़ लिया और झल्लाते हुए जवाब दिया ‘ये क्या बात हुई हम आफिशियल देंगे आपको सारा चीज’।
खत्म नहीं हुई है लड़ाई
स्थानीय लोगों की लड़ाई जारी है। पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका के जरिए स्थानीय लोग चंदा जुटाकर इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। हाल ही में कोर्ट ने बैरिया डंपिंग यार्ड को लेकर राज्य सरकार और पटना नगर निगम को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने बैरिया कचरा डंपिंग यार्ड के लिए 10 दिनों में दूसरी जगह चिन्हित करने को भी कहा है। अब देखना होगा कि सरकार क्या फैसला लेती है। बहरहाल कचरे और प्रदूषण से आसपास के लोग परेशान और बेबस हैं। सोर्स:दैनिक भाष्कर ।