दलसिंहसराय;जहां कथा होते हैं,वहां भगवान व्यग्रता से पहुंचते हैं:आचार्य संजय
दलसिंहसराय,भटगामा स्थित शिक्षा विहार कोचिंग संस्थान परिसर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ के तीसरे दिन की कथा का शुभारंभ करते हुए कथा वाचक आचार्य संजय शास्त्री जी महाराज ने कहा कि मानव के सर्वबिदध कल्याण का एकमात्र साधन है भक्ति,और भक्ति के मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए पहली आवश्यकता संवेदनशीलता हैं,भक्ति मानव को भगवान के नजदीक ले जाती हैं.उस भक्ति के लिए कथा का श्रवण प्रधान साधन है. कथा श्रवण से भगवत तत्व विज्ञान संसार से वैराग्य एवं वर्तमान जीवन में संतोष की अनुभूति होती हैं.यह भक्ति भगवान के दो स्वरुपों की की जाती हैं.एक विराट स्वरूप तथा दूसरा एक अवतार रूप की.
भगवत कथा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आचार्य शास्त्री जी ने कहा कि भगवान को कथा सबसे ज्यादा प्रिय हैं,जहां कथा होते हैं,वहां भगवान व्यग्रता से पहुंचते हैं. इतना ही नहीं कथा स्थल पर सारे ऋषि,संत एवं गंधर्व गण स्वर्गलोक से उतर कर कथा श्रवण करते हैं.कथा का इतना प्रभाव हैं कि जो नित्य कथा का श्रवण करते हैं,भगवान उनके वश में खिंचें चलें जाते हैं.इसलिए हम सबों को कथा का श्रवण करना चाहिए,भले ही अच्छा नहीं लगें.एक दिन ऐसा आएगा कि हम कथा में सुध बुध खो देंगे,और हम परम तत्व में खो जाएंगे.
अतिथि यजमान के रूप में पधारे फिल्म अभिनेता अमिय कश्यप को आचार्य संजय शास्त्री ने पुष्प हार,अंग वस्त्र और श्रीमद्भागवत गीता पुस्तक भेंटकर कर सम्मानित किया.कथा में प्रो. पी. के. झा “प्रेम”,जितेंद्र कुमार चौधरी,कन्हैया कुमार,राम वचन झा,अवनीकांत मिश्र,प्रफुल्ल चंद्र मिश्र,विधान चन्द्र मिश्र, शुशांत चन्द्र मिश्र,अशोक झा,प्रभात चौधरी,विमल देवी,प्रिती प्रियदर्शिनी,मोनी, मुस्कान,खुशी,नुतन कोमल सहित सैकड़ो भक्त मौजूद थे.