Sunday, November 24, 2024
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब अनमैरिड-समलैंगिक जोड़े भी गोद ले सकते हैं बच्चा

नई दिल्ली।समलैंगिक विवाह मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई बड़ी टिप्पणी की है। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि समलैंगिक समुदाय के साथ किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार यह सुनिश्चित करें कि समलैंगिक समुदाय के साथ वस्तुओं और सेवाओं को हासिल करने में किसी भी तरह का भेदभाव ना हो। उन्हें ये सेवाएं बिना भेदभाव के मिले। सरकार लोगों को समलैंगिक अधिकारों के बारे में जागरूक करे।

 

 

 

 

इसके साथ ही समलैंगिक समुदाय के लिए हॉटलाइन बनाई जाए, जहां उनके खिलाफ होने वाली हिंसा से जुड़े मामलों का निस्तारण हो। समलैंगिक जोड़ों के लिए गरिमा गृह का निर्माण किया जाएघा, जहां पर यह सुनिश्चित किया जाए कि अंतर-लिंग वाले बच्चों को ऑपरेशन के लिए मजबूर ना किया जाए।

 

 

 

 

 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्देश दिया है कि केंद्र एक कमेटी का गठन करेगी जोकि समलैंगिक लोगों के अधिकार और हक को तय करेगी। यह कमेटी समलैंगिक लोगों को राशन कार्ड में परिवार के तौर पर मान्यता देगी, संयुक्त बैंक खाता, पेंशन, ग्रेच्युटी आदि के अधिकार को सुनिश्चित करेगी। इस कमेटी की रिपोर्ट को केंद्र सरकार देखेगी।

 

 

 

 

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि समलैंगिक लोगों के खिलाफ उनके संबंध को लेकर किसी भी तरह की एफआईआर दर्ज करने से पहले पुलिस प्राथमिक जांच करे। चीफ जस्टिस ने कहा कि सिर्फ सेक्सुएल ओरिएंटेशन के आधार पर किसी को भी देश में आने से नहीं रोका जा सकता है।

 

विषमलैंगिक संबंधों में ट्रांसजेंडर लोगों को शादी करने से नहीं रोका जा सकता है। मौजूदा कानून के तहत उन्हें यह अधिकार है। समलैंगि जोड़े, अविवाहित समलैंगिक जोड़े एक बच्चे को गोद ले सकते हैं।

Kunal Gupta
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