Friday, October 25, 2024
Patna

निक्षय दिवस के जरीए लोगों में बढ़ी है टीबी के प्रति जागरूकता: डॉ.शालिग्राम

पटना।बक्सर, 16 अक्टूबर | प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत प्रत्येक माह की 16वीं तिथि को जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर सोमवार को निक्षय दिवस का आयोजन किया गया। इस क्रम में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें टीबी के लक्षण वाले जिले भर के सैकड़ों लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें उचित सलाह दी गई।

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि निक्षय दिवस के माध्यम से सरकार ने टीबी के मामलों की पहचान को गति देने के लिए एक अभियान शुरू किया है, प्रत्येक महीने संदिग्ध मामलों पर फोकस किया जा रहा है। इस अभियान को निक्षय दिवस का नाम दिया गया है, जिसके तहत सभी स्वास्थ्य सुविधाएं, संदिग्ध मामलों की जांच होती है। इस अभियान से लोगों में टीबी के प्रति काफी जागरूकता आयी है। जो टीबी मुक्त बक्सर बनने के अच्छे संकेत हैं।

 

 

टीबी के लक्षण वाले मरीजों का लिया गया नमूना :

पांडेयपट्‌टी स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सीएचओ श्वेता सिंह ने बताया कि निक्षय दिवस को लेकर आशा कार्यकर्ताओं द्वारा प्रचार-प्रसार किया जाता है।

 

 

 

शिविर में आशा कार्यकर्ता अपने संबंधित क्षेत्र के टीबी के लक्षण वाले मरीजों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर लाती हैं। जिनकी जांच करते हुए उनसे स्पूटम कलेक्ट करने के लिए फाल्कन किट दिया जाता है। जिसमें मरीज अपने स्पूटम का सैंपल देते है। उसके बाद उन सैंपलों को जांच के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र भेजा जाता है। जहां रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर मरीज का रजिस्ट्रेशन करते हुए उनका इलाज शुरू किया जाता है। उन्होंने बताया कि निक्षय दिवस पर ग्रामीणों को टीबी व अन्य गंभीर बीमारियां मसलन फाइलेरिया, कालाजार, कुष्ठ आदि की भी जानकारी दी जाती है। साथ ही, इप बीमारियों के लक्षण, इससे बचाव व इलाज के बारे में बताया जाता है। जिससे लोगों में जागरूकता बढ़े।

 

 

 

 

बलगम में टीबी के जीवाणु पाए जाते हैं :

जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीसी कुमार गौरव ने बताया, दो हफ्ते या उससे अधिक समय से खांसी आना टीबी का मुख्य लक्षण हो सकता है। वहीं, शाम को बुखार आना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। फेफड़ों की टीबी के रोगी के बलगम में टीबी के जीवाणु पाए जाते हैं।

 

 

 

रोगी के खांसने, छींकने और थूकने से ये जीवाणु हवा में फैल जाते हैं, और अन्य व्यक्ति के सांस लेने से यह जीवाणु उस व्यक्ति के फेफड़ों में पहुंच जाते है और उसे संक्रमित कर देते हैं। टीबी एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। टीबी का मरीज एक वर्ष में दस से पंद्रह लोगों को इस बीमारी से संक्रमित कर सकता है। ऐसे में, टीबी का समय रहते इलाज होना बेहद जरूरी है। जिसके लिए लोगों का जागरूक होना जरूरी है। जिसमें निक्षय दिवस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

Kunal Gupta
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