“शिवानंद तिवारी बोले- बचपन में जासूसी की किताब पढ़ता था, पिताजी को लगता था बिगड़ जाऊंगा
पटना के श्रीकृष्ण विज्ञान केन्द्र में आज छह दिवसीय ‘किताब उत्सव’ का शुभारंभ किया गया। 23 से 28 सितंबर तक चलने वाले इस ‘किताब उत्सव’ का उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार चन्द्रकिशोर जायसवाल ने किया। उद्घाटन के बाद रामधारी सिंह दिनकर के पुत्र एवं आलोचक केदारनाथ सिंह के निधन पर मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर तैयब हुसैन, रामधारी सिंह दिवाकर, आलोकधन्वा, शिवानन्द तिवारी और शिवमूर्ति बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।
इस कार्यक्रम में पहुंचे राजद के सीनियर लीडर शिवानंद तिवारी ने किताबों की भूमिका बताई। उन्होंने कहा कि उनके जीवन मे किताबों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बचपन से ही किताबों से उनका बहुत लगाव रहा है, खासकर वह जासूसी वाली किताब पढ़ा करते थे। उनके पिता को लगता था कि जासूसी वाले किताब पढ़ने से लड़के बिगड़ जाते हैं। इसके साथ ही शिवानंद तिवारी ने कहा कि आधुनिकता अब की पीढ़ी को बर्बाद कर रही है। मोबाइल के जमाने मे लोग अब किताब पढ़ना नहीं चाहते है। इन सबके बीच शिवानंद तिवारी ने अपने बचपन से जुड़ी बातों को भी साझा किया और पुराने नेताओं को भी याद किया।
किताब उत्सव में 20,000 पुस्तकों के साथ पुस्तक मेले का भी आयोजन किया गया। इसमें कविता, कहानी, शायरी, उपन्यास, नाटक सहित इतिहास की किताबें हैं। इसके साथ ही वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा परिचर्चा भी की गई और शिवमूर्ति के उपन्यास ‘अगम बहै दरियाव’ का लोकार्पण किया गया। इस उपन्यास में आपातकाल से लेकर उदारीकरण के बाद तक करीब चार दशकों में फैली एक ऐसी करुण महागाथा है जिसमें किसान-जीवन अपनी सम्पूर्णता में सामने आता है। यह उपन्यास किसानों के कष्टकारी जीवन के साथ नौकरशाही और न्याय-व्यवस्था के सामने उसकी क्या स्थिति होती है, इस पर भी रोशनी डालता है।