Thursday, November 28, 2024
Patna

“पटना चिड़ियाघर में बनेगा एशिया का दूसरा ब्रेल कॉरिडोर; ब्लाइंड फ्रेंडली होगा जू

पटना: अभी तक जो नहीं देखे वो मंजर देख लेते हैं, चलो आपस में हम आंखें बदल कर देख लेते हैं।’ भारत भूषण पंत की ये लाइनें बिहार के लगभग 16 लाख से अधिक दिव्यांग (ब्लाइंड) पर फिट बैठती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अब पटना जू ब्लाइंड लोगों की आंख की पुतली बनकर उन्हें उनकी मन की आंखों से जंगली जीव जंतुओं से रुबरू कराएगा।

इसके लिए पटना जू में एशिया का दूसरा ब्रेल कॉरिडोर बनाया जा रहा है। जिसमें ब्रेल लाइब्रेरी के साथ-साथ ब्रेल इन्फॉर्मेशन सिस्टम लगाया जाएगा। इस सिस्टम से नेत्रहीन भी सामान्य लोगों की तरह चिड़ियाघर का आनंद उठा सकेंगे।

पहला ब्रेल कॉरिडोर बनाने वाली संस्था को काम का जिम्मा..
लखनऊ जू में एशिया का पहला ब्रेल कॉरिडोर बनाया गया है। इसका मॉडल मीत वेलफेयर फाउंडेशन के प्रेसिडेंट रोहित कुमार मीत ने तैयार किया था। साल 2018 में यह मॉडल लखनऊ जू में काफी हिट हुआ और इससे नेत्रहीन भी चिड़ियाघर की सैर करने लगे। अब लखनऊ की तर्ज पर पटना जू में भी ब्रेल कॉरिडोर और ब्रेल लाइब्रेरी बनाने की तैयारी की जा रही है।

संजय गांधी जैविक उद्यान केंद्र के निदेशक सत्यजीत कुमार।
संजय गांधी जैविक उद्यान केंद्र के निदेशक सत्यजीत कुमार ने बताया कि बहुत जल्द पटना जू में ब्रेल कॉरिडोर का निर्माण कराया जाएगा। जिसके बाद नेत्रहीनों के लिए वन्य जीवों की जानकारी सामान्य लोगों की तरह आसान हो जाएगी। इसके लिए मीत वेलफेयर फाउंडेशन ने काम शुरू कर दिया है।

क्या होता है ब्रेल कॉरिडोर..
ब्रेल कॉरिडोर का मॉडल तैयार करने वाले रोहित कुमार मीत बताते हैं कि ब्लाइंड लोगों की भी इच्छा होती है कि वह सामान्य लोगों की तरह चिड़ियाघर की सैर करें। ब्लाइंडनेस के कारण वह इस सुख से वंचित रह जाते हैं। इसके बाद उनके अंदर ब्लाइंड होने की हीन भावना जागृत हो जाती है। इसी भावना को दूर करने लिए उन्होंने 2018 में इस मॉडल को लखनऊ के जू में तैयार किया।

 

इस मॉडल के तहत ब्रेल कॉरिडोर बनाया जाता है। इसमें ब्रेल इन्फॉर्मेशन बोर्ड लगाए जाते हैं। कॉरिडोर में बोर्ड पर एक साथ जू के सभी वन्य जीव जंतुओं की पूरी जानकारी ब्रेल लिपि में दर्ज होती है।

इससे नेत्रहीन आसानी से वन्य जीवों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर बाणे तक पहुंच जाते हैं। इसके बाद वह जानवरों के सामने लगे ब्रेल बोर्ड के जरिए संबंधित जानवर की पूरी जानकारी पढ़ सकते हैं। इससे उन्हें सामान्य लोगों की तरह जानवरों के बारे में जानकारी मिल जाती है।

जू की ब्रेल लाइब्रेरी में साहित्य से लेकर सब कुछ
मीत वेलफेयर की तरफ से पटना जू की लाइब्रेरी में तैयार हो रही ब्रेल लाइब्रेरी में साहित्य की पुस्तकों का ब्रेल लिपि में संग्रह होगा। देश के जाने-माने शायरों और कवियों की कविता और गजलों का संग्रह ब्रेल लिपि में होगी।

यहां नेत्रहीन लोग बैठकर अपनी मनपसंद किताबों को ब्रेल लिपि में पढ़ सकेंगे। रोहित कुमार मीत बताते हैं कि ब्रेल लिपि नेत्रहीनों के लिए खास लिपि होती है। इसमें खुरदुरा पॉइंट होता है।

बताते हैं कि पूरी ब्रेल लिपि 6 पॉइंट पर होती है। इसके जरिए दृष्टि बाधित लोग अपनी पढ़ाई करते हैं। इस पढ़ाई से वह सामान्य लोगों की तरह पढ़ाई कर सकते हैं। ब्रेल लाइब्रेरी में पद्म भूषण गोपाल दास नीरज, पद्मश्री बेकल उत्साही, पद्मश्री अशोक चक्रधर, पद्मश्री निदा फाजली, पद्मश्री बशरी बद्र, गुलजार, जावेद अख्तर, इरशाद कामिल के साथ मीर और गालिब से लेकर अब तक के सभी बड़े ख्याति प्राप्त शायरों की कविताएं और रचनाएं होंगी।

अब जानिए बिहार में क्या है ब्लाइंड लोगों का आंकड़ा
ब्लाइंड लोगों पर काम करने वाली बिहार की संस्थाएं बताती हैं कि राज्य में दिव्यांगों की संख्या काफी अधिक है। मीत वेलफेयर के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में नो विजन और लो विजन वाले ब्लाइंड हैं।

दोनों की संख्या मिला दी जाए तो आंकड़ा 16 लाख के पार होगा। ऐसे लोगों के लिए दुनिया काली होती है। इसमें अधिक संख्या में ऐसे लोग हैं, जाे जन्म से नेत्रहीन हैं। ऐसे लोगों के लिए पटना जू का ब्लाइंड कॉरिडोर काफी सार्थक होगा। आंखों की कमी के कारण जू में नहीं आने वालों के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा।

पटना समेत बिहार के लगभग 10 जिलों नेत्रहीन बच्चों के लिए स्कूल भी हैं, लेकिन बच्चे आंखों के कारण जू में जानवरों को नहीं देख पाते हैं। वो वहां जाकर उनके बारे में जानकारी भी नहीं ले पाते हैं।

संजय गांधी जैविक उद्यान (पटना जू) के निदेशक सत्यजीत कुमार बताते हैं कि पटना जू का 50 वर्ष पूरा हो गया है। इस उपलक्ष्य में यह बड़ा काम किया जा रहा है। इसी क्रम में ब्रेल कॉरिडोर और ब्रेल लाइब्रेरी भी बनाई जा रही है।

जू पहले से इको फ्रेंडली है। यहां किसी भी प्रकार का कोई प्रदूषण नहीं है। अब ब्लाइंड फ्रेंडली जू बनाने के साथ कॉरिडोर बन जाने से जू की भव्यता बढ़ जाएगी। अभी तक ब्लाइंड लोगों के लिए सिर्फ छड़ी की व्यवस्था थी, लेकिन अब ब्रेल लाइब्रेरी से लेकर हर तरह की व्यवस्था की जा रही है।

कॉरिडोर और ब्रेल लाइब्रेरी का काम बहुत जल्द पूरा हो जाएगा। इसके बाद लोगों को लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। पटना जू के 50 साल पूरे होने पर और कई सौगात देने की तैयारी की जा रही है।

दिव्यांगों को लिए मीत फाउंडेशन कर रही लगातार काम

नेत्रहीनों के लिए काम कर रहे मीत फाउंडेशन के प्रेसिडेंट रोहित कुमार मीत ने बताया कि उनके द्वारा नेत्रहीनों के लिए काफी काम किया जा रहा है। उन्होंने हाल ही में दुनिया की पहली ब्रेल मेट्रो कार्ड का निर्माण किया है। जिसका उन्होंने यूपी के मेट्रो में इस रेल मेट्रो कार्ड को मुफ्त में दिया है।

इसके अलावा वो कई राज्यों के साथ मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। पटना मेट्रो का काम जब पूरा हो जाएगा तो वो पटना मेट्रो के साथ मिलकर भी यहां के नेत्रहीनों के लिए ब्रेल मेट्रो कार्ड का निर्माण करेंगे।

इसके अलावा रोहित कुमार मीत ने बताया कि वह नेत्रहीनों के लिए नोट आइडेंटिटी कार्ड, मेडिसिन पाउच, गजल संग्रह जैसी कई चीजों को उन्होंने ब्रेल लैंग्वेज में कन्वर्ट किया।

Kunal Gupta
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