लूट रहा रेलवे;कोरोना से राहत,पर 25 पैसेंजर ट्रेनें अब भी स्पेशल,रेलवे रोज 1.90 लाख यात्रियों से ले रहे तीन गुना किराया
लूट रहा रेलवे;कोरोना की भयावह त्रासदी से लोगों को एक साल से अधिक समय से राहत है। केंद्र और डब्ल्यूएचओ ने इसे महामारी से सामान्य बीमारी का दर्जा दे दिया। देश में तब लगाए गए कई नियम भी खत्म कर दिए गए, लेकिन लगता है कि रेलवे के लिए कोरोना का भयावह दौर अबतक जारी है। तभी तो दानापुर मंडल में 25 ट्रेनें ऐसी हैं जो अब भी कोरोना के दौर में शुरू किए गए विशेष नियमों के तहत दौड़ रही हैं। इसका खामियाजा पटना से गया, बक्सर, मोकामा, पाटलिपुत्र से हाजीपुर, बरौनी, छपरा, पटना-बख्तियारपुर-राजगीर और पटना-फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड में यात्रा करने वाले करीब 1.90 लाख यात्रियों को हर दिन भुगतना पड़ रहा है।
दरअसल, करीब ढाई साल पहले कोरोना की रफ्तार धीमी होने पर यात्रियों की मांग पर दानापुर मंडल में 25 पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन उसके नंबर के आगे जीरो लगाकर शुरू किया गया था। तब इसे रेलवे ने स्पेशल ट्रेन बताया था। इसका किराया दो से तीन गुना अधिक रखा गया था।
कोरोना से राहत मिलने के बाद भी रेलवे ने स्पेशल ट्रेन और अधिक किराए को जारी रखा है। सिर्फ पटना जंक्शन पर हर महीने सामान्य श्रेणी के औसतन 14 लाख टिकट कटते हैं, जिनमें करीब 8 लाख पैसेंजर ट्रेनों (मेमू) के होते हैं। इन पैसेंजर ट्रेनों से हर महीने औसतन 7 करोड़ की आय है। इसमें से करीब 50 प्रतिशत यानी करीब साढ़े तीन करोड़ की वसूली स्पेशल ट्रेन के नाम पर यात्रियों से अतिरिक्त की जा रही है।
जंक्शन पर ही हर माह स्पेशल ट्रेनों के नाम पर साढ़े 3 करोड़ की अतिरिक्त वसूली
पटना से स्पेशल और सामान्य पैसेंजर ट्रेनों का किराया
46 मेमू और 50 डेमू लोकल ट्रेनें चलाई जा रही हैं अभी पूर्व मध्य रेल में।
बाकी सभी लोकल ट्रेनों को स्पेशल बनाकर चलाया जा रहा है।
स्पेशल का किराया एक्सप्रेस ट्रेन की जेनरल बोगी के बराबर
स्पेशल ट्रेन का शुरुआती किराया यानी सबसे कम दूरी का किराया 30 रुपए है। जबकि सामान्य पैसेंजर ट्रेनों का न्यूनतम किराया 10 रुपए होता है। एक्सप्रेस ट्रेन की जनरल बोगी में सफर करने पर भी न्यूनतम किराया 30 रुपए ही लगता है। यानी, पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेन का न्यूनतम किराया बराबर हो गया है। पैसेंजर ट्रेनें तो पहले वाली ही है, लेकिन उनके नंबर के आगे जीरो जोड़ देने से वह स्पेशल हो गई और किराया बढ़ा दिया गया। हालांकि तीन पैसेंजर ट्रेनें वैसी भी हैं, जिनके नंबर के पहले जीरो तो लगा है, लेकिन इनमें न्यूनतम किराया 10 रुपए ही लग रहा है।
इन ट्रेनों को भी स्पेशल पैसेंजर के तौर पर चलाया गया, लेकिन किराया में बदलाव नहीं किया गया। इन ट्रेनों में 03261/62 बक्सर फतुहा शटल मेमू, 03217/18 बरौनी-मोकामा-पटना मेमू और 03337 पटना गया मेमू शामिल हैं।
कितनी ट्रेनों में न्यूनतम किराया 30 रुपए
पटना-गया : 10 जोड़ी
पटना-डीडीयू जंक्शन : 6 जोड़ी
पटना-वाराणसी : एक जोड़ी
पटना-बक्सर : दो जोड़ी
पटना-आरा : दो जोड़ी
पटना-मोकामा-राजगीर-झाझा : 9 जोड़ी
पटना-पाटलिपुत्र-बरौनी : 3 जोड़ी
दानापुर से मोकामा बरौनी : एक जोड़ी
दानापुर से राजगीर : एक जोड़ी
दानापुर से तिलैया : एक जोड़ी
पटना-इस्लामपुर : एक जोड़ी
पटना-बरौनी (वाया पाटलिपुत्र) : 3 जोड़ी
पटना-झाझा : तीन जोड़ी
पटना-सासाराम : एक जोड़ी
पटना-जसीडीह : एक जोड़ी
पटना-आरा : एक जोड़ी
दानापुर-रघुनाथपुर : एक जोड़ी
पटना-वाराणसी : एक जोड़ी
फतुहा-बक्सर शटल मेमू
पटना-बक्सर मेमू
रेल मंत्रालय पुराना किराया 10 रुपए लागू करे। इन ट्रेनों से कमजोर वर्ग के यात्री डेली सवारी करते हैं। ऐसे लोगों को किराया बढ़ने से काफी परेशानी हो रही है। हमने इसके लिए दानापुर रेलमंडल और पूर्व मध्य रेलवे को भी पत्र लिखा है।-शोएब कुरैशी, महासचिव, बिहार दैनिक यात्री संघ
यह मंत्रालय का पॉलिसी मैटर है। इसमें जोन के स्तर से कुछ भी नहीं है। कई बार इस तरह की शिकायत मिली, जिसे ऊपर भेज दिया गया है। लोकल ट्रेनों को पहले की तरह सामान्य लोकल ट्रेन की तरह परिचालन से संबंधित कोई निर्देश मंत्रालय से अभी नहीं आया है। आदेश आते ही लागू होगा। -वीरेंद्र कुमार, सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेल. सोर्स:दैनिक भास्कर।