उद्घाटनकर्ता सह वक्ता प्रो. टी. पी. चौबे ने अपने संबोधन में कहा कि प्रेमचंद का व्यक्तित्व एवं कृतित्व आज भी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं.उनका साहित्य वर्तमान समय में हमें समस्याओं पर नये सिरे से विचार करने को प्रेरित करता है.मुख्य अतिथि सह वक्ता डॉ. अशोक कुमार मिश्र ने कहा कि हमारा समाज आज भी प्रेमचंद साहित्य से बहुत कुछ सीख सकता है, उसके माध्यम से समस्याओं का समाधान कर सकता है.उनका साहित्य हर वर्ग के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं.विशिष्ट वक्ता डॉ नागेन्द्र नाथ चौधरी ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से हर वर्ग को जगाने की कोशिश की.आज भी वे हमारे लिए अनुकरणीय हैं.कवि उमेश, राम नरेश दास, राम सेवक राय,महेश कुमार,नीलम देवी,रामविलास आदि वक्ताओं ने आज के दिवस पर प्रासंगिक अभिव्यक्ति प्रस्तुत की!