जिले के चार आंगनबाड़ी केंद्रों में खुलेगा शिशु पालन गृह,महिलाए बच्चो को छोड़कर जा सकेंगी ड्यूटी
सासाराम/ 29 अगस्त। कामकाजी महिलाओं को अपने कार्यस्थल पर अपने बच्चों के प्रति होने वाली चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है ताकि महिलाएं अपने बच्चों की देखभाल की चिंता के प्रति मुक्त होकरअपने कार्यो पर अधिक से अधिक ध्यान दे।
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए समेकित बाल विकास सेवा योजना के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में अब “क्रेच” यानी शिशुपालन गृह का संचालन किया जाएगा। शुरुआती दौर में रोहतास जिले में क्रेच सेंटर के लिए चार आंगनबाड़ी केदो को चयनित किया गया है, जिसमें सासाराम अनुमंडल के बेदा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र एवं करबंदिया स्थित आंगनबाड़ी केंद्र को चयनित किया गया है जबकि डिहरी अनुमंडल में डेहरी एवं डालमिया नगर में एक-एक आंगनबाड़ी केंद्र को चयनित किया गया है। इन चारों आंगनबाड़ी केदो पर पर 25-25 बच्चों की छमता वाला क्रेच सेंटर का निर्माण किया जाएगा। इन क्रेच सेंटरों पर कामकाजी महिलाओं के 6 महीने से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका एवं सहायिका तब तक देखभाल करेंगी जबतक बच्चो की मां अपने ड्यूटी या कार्य स्थल से वापस नही आ जाती।
किसे मिलेगा लाभ
आंगनबाड़ी केंद्रों में शिशु पालन गृह (क्रेच) खोलने का मुख्य मकसद कामकाजी महिलाओं को कार्यालय में काम के दौरान अपने बच्चों की बेहतर देखभाल की चिंता से मुक्त करना है, ताकि वह अपने बच्चों की देखभाल की चिंता से मुक्त होकर अपने कार्यस्थल पर कार्यों पर विशेष ध्यान दें। साथ ही मां की अनुपस्थिति में बच्चे का बेहतर देखभाल हो और समय पर उचित पोषण मिलता रहे। क्रेच सेंटर का इस्तेमाल सरकारी कार्यालयों या निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं कर सकती हैं। क्रेच सेंटर का संचालन सुबह 9:30 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक किया जाएगा। इस दौरान मां अपने बच्चे को क्रेच सेंटर में छोड़कर अपने कार्यस्थल पर जा सकेंगी और अपने कार्यों को बेहतर तरीके से निर्वाह कर सकेंगी|
बच्चो की बेहतर देखभाल आंगनबाड़ी केंद्र की होगी जिम्मेदारी
अपने बच्चों को क्रेच सेंटर में छोड़कर काम पर जाने वाली महिलाओं के बच्चों की पूरी देखभाल की जिम्मेदारी उक्त आंगनवाड़ी सह क्रेच सेंटर की सेविका एवं सहायिका पर होगी। इसके लिए सरकार उनको अतरिक्त वेतन एवं पोषाहार की राशि उपलब्ध कराएगी। बच्चों को समय-समय पर दी जाने वाली भोजन या पैष्टिक आहार बच्चों की मां को ही उपलब्ध कराना है। क्रेच सेंटर के सेविका एवं सहायिका बच्चों को समय-समय पर भोजन करायेंगी। इसके लिए क्रेच सेंटर पर गैस चूल्हा या इंडक्शन चूल्हा भी उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि बच्चों को दी जाने वाली भोजन को गर्म किया जा सके।
कामकाजी महिलाएं बच्चों की देखभाल की चिंता से होगी मुक्त
आईसीडीएस डीपीओ रश्मि रंजन ने बताया कि बहुत सारी ऐसी महिलाएं हैं जिनको 5 साल से कम उम्र के बच्चे हैं और ड्यूटी के दौरान उन बच्चों का देखभाल के लिए घर पर कोई मौजूद नहीं होता है। ऐसे में कामकाजी महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी महिलाएं या तो सही तरीके से अपने कार्य पर फोकस नहीं कर पाती हैं या फिर अपने बच्चों पर। इसके लिए सरकार ने इस योजना की शुरूआत की है। डीपीओ ने बताया कि इस योजना के तहत कामकाजी महिलाएं अपने बच्चों को 8 से 9 घंटे के लिए क्रेच सेंटर में छोड़कर चिंता मुक्त होकर अपने कार्य स्थल पर जा सकेंगी और कार्य स्थल से लौटने के बाद अपने बच्चे को वापस ले जा सकेंगी। डीपीओ ने बताया कि इसके लिए आंगनबाड़ी का चयन कर लिया गया है और जल्द ही क्रेच सेंटर खोलने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।