पर्यटन स्थल कुशेश्वरस्थान रेल के इंतजार में सुनसान पड़ी,चार में से एक भी परियोजना शुरू नहीं हुई
Tourist place Kusheshwarsthan;दरभंगा।उत्तर बिहार का मशहूर पर्यटन स्थल कुशेश्वरस्थान आज भी रेल मार्ग के लिए तरस रहा है। इस इलाके को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने के लिए 4 परियोजनाओं को स्वीकृति दी जा चुकी है। लेकिन एक भी योजना पूर्ण नहीं हो पाई है।
दशकों पहले देश के पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की ओर से सकरी हसनपुर रेलखंड का शिलान्यास किया गया था। जिसके बाद सकरी से हरिनगर तक रेल का परिचालन शुरू भी हुआ। लेकिन हरीनगर से आगे रेल सेवा चालू तो क्या पटरिया तक नहीं बिछाई गई। लोग आज भी रेल का इंतजार कर रहे हैं।
इस मार्ग को लेकर पहली परियोजना दरभंगा से कुशेश्वरस्थान 70.14 किलोमीटर नई रेलवे लाइन की स्वीकृति उस समय के तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में वर्ष 2005 में दी गई थी। लेकिन रेल परियोजना पास होने के बावजूद आज भी परियोजना कागज पर ही चल रही है। और अब तक कुछ नहीं हुआ है
वही दूसरी परियोजना के तहत 79 किलोमीटर की सकरी हसनपुर रेल परियोजना पिछले कई दशकों से पूर्ण नहीं हुई है। इस रेल परियोजना का पहला पेज में सकरी से हरिनगर करीब 36 किलोमीटर रेलखंड पर ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ शेष 43 किलोमीटर हरी नगर से हसनपुर तक काम बंद है 28 मार्च 2023 को 11 किलोमीटर हसनपुर बिठान तक सीआरएस हो चुका है किंतु अभी तक ट्रेन का परिचालन नहीं हुआ है।
तीसरी परियोजना खगड़िया से कुशेश्वरस्थान को जोड़ने वाली 44 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना को पूरा होने में ऐसा प्रतीत होता है की अभी भी लंबा वक्त लगेगा। खगरिया से कुशेश्वरस्थान के बीच इन 25 वर्षों में मात्र 19 किलोमीटर खगरिया से अलौली तक की रेल की पटरी बिछाई गई है जिस पर पिछले वर्ष ट्रेन का ट्रायल भी पूरा किया जा चुका है जबकि खगरिया कुशेश्वरस्थान रेल परियोजना का 25 किलोमीटर का जमीन अधिग्रहण नदी के ऊपर पुल पुलिया रेल पटरी बिछाने सहित तमाम कार्य बाकी है जब इस रेल परियोजना की शुरुआत हुई थी तब इसके लिए 2022 में ही योजना पूरी होने की उम्मीद थी लेकिन अब अगले 5 वर्षों में भी काम के पूरे होने की कोई उम्मीद नहीं दिखती है।
वही चौथी परियोजना में कुशेश्वरस्थान सहरसा 35 किलोमीटर रेल लाइन की परियोजना का कार्य भी अधर में लटका हुआ है अभी तक इस योजना को लेकर सर्वे का काम भी पूरा नहीं हुआ है उम्मीद जताई जा रही है कि सर्वे के बाद इस योजना की स्वीकृति मिलने की संभावना है जिसके बाद कोशी पर दूसरा महासेतु बनने की भी उम्मीद जाग रही है।