Sunday, October 27, 2024
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Success Story;पढ़ने के लिए घर से भागा रामलाल, NEET में हासिल की सफलता; अब बनेगा डॉक्टर

Success Story;उदयपुर। बाल विवाह समाज के लिए चुनौती है, जो बच्चों के सपने तोड़ देती है लेकिन घोसुंडा के रामलाल के इरादों ने अलग ही मिसाल पेश की है। चित्तौड़गढ़ जिले के रामलाल भोई का महज 11 साल की उम्र में बाल विवाह कर दिया गया था। उसके पढ़ने की जिद ऐसी थी कि वह घर छोड़कर चला गया और कहा, जब तक एमबीबीएस में प्रवेश नहीं मिलेगा, तब तक वह चैन से नहीं बैठेगा। रामलाल को पांचवें प्रयास में नीट में 632 अंक हासिल हुए और उसकी कैटेगरी रैंक 5137 है।

रामलाल भोई ने बताया जब वह छठवीं में पढ़ता था, तब उसकी शादी कर दी गई। किन्तु उसने पढ़ना नहीं छोड़ा। समाज की पिछड़ी सोच के चलते पढ़ाई आसान नहीं था। पिता नहीं चाहते थे कि 10वीं के बाद बेटा पढ़ाई करे। लोगों के बहकावे में आकर एक बार तो पिता ने पढ़ाई छुड़वाने के लिए रामलाल को पिटाई की, लेकिन उसने संकल्प कर लिया कि वह डॉक्टर बनके दिखाएगा।

दोस्त के पिता ने आकर समझाया तो रामलाल के पिता ने आगे की पढ़ाई में सहयोग किया। परिवार ने कर्जा लेकर जैसे तेसे बेटे को पढ़ाया और रामलाल ने भी जमकर मेहनत की और पांचवें प्रयास में नीट क्रेक कर दिखाया।

पत्नी ने मेरे लिए खुद की पढ़ाई छोड़ी
रामलाल का कहना है कि मेरी शादी आज की उम्र में होती तो विरोध भी करता लेकिन, तब मुझे तो शादी के नाम पर मजा आ रहा था। लोग नाच रहे थे। मेहमान आ-जा रहे थे। 11 साल का था तब मेरी शादी हो गई। कक्षा 6 में पढ़ता था। मेरी पत्नी भी हम उम्र है। छह साल पहले पत्नी ने ससुराल में आकर रहना शुरू कर दिया। वो खुद 10वीं तक पढ़ी हुई है। हमारे समाज में शिक्षा को इतना महत्व नहीं दिया जाता और ऐसे में कोई लड़की 10वीं तक पढ़ ले तो बहुत बड़ी बात मानी जाती है।

वह भी 10वीं के बाद पढ़ना चाहती थी लेकिन मेरी पढ़ाई के लिए उसने खुद की पढ़ाई का त्याग किया और ससुराल की जिम्मेदारियां संभाली। मैं लगातार नीट की तैयारी में लगा रहता लेकिन सलेक्शन नहीं हो पा रहा था। इसके चलते कई बार हमारे बीच काफी झगड़े भी होते थे लेकिन मेरा जुनून देखकर उसने मेरा साथ दिया। नीट यूजी 2023 परीक्षा से छह माह पूर्व ही उसने बेटी को जन्म दिया है।

नीट के बारे में पता नहीं था
परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। गांव के सरकारी स्कूल से 10वीं कक्षा 74 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की। इसके बाद 11वीं में मेरे दोस्त ने कृषि विषय ले ली तो मैं भी उसके साथ उदयपुर चला गया। मैं भी कृषि विषय लेने गया था लेकिन जब वहां पहुंचा तो शिक्षकों ने बायोलॉजी विषय और नीट परीक्षा के बारे में जानकारी दी। मुझे तब तक नहीं पता था कि नीट जैसा कोई एग्जाम देने के बाद डॉक्टर बनते हैं। फिर मैंने बायोलॉजी विषय के साथ 11वीं और 12वीं कक्षा पास की। इस दौरान मैं समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित अम्बेडकर छात्रावास में रहता था, जो कि नि:शुल्क था।

पढ़ाई करने के लिए घर से भागा
नीट की तैयारी के लिए कोटा आने लगा तो लोगों ने कहा कि ‘क्या करेगा पढ़कर ?’ माता-पिता दोनों निरक्षर हैं। 10वीं कक्षा के बाद पिता पढ़ाना नहीं चाहते थे। इसके लिए उन्होनें मुझे मारा लेकिन, मैं घर से भागकर उदयपुर गया और वहां एडमिशन लिया। बाद में दोस्त के पिता ने उन्हें समझाया तो वे माने। मैंने वर्ष 2019 में 12वीं कक्षा 81 प्रतिशत अंकांं से उत्तीर्ण की थी।

आर्थिक स्थिति काफी कमजोर
राजस्थान के चित्तौड़गढ जिले के घोसुन्डा में भेड़च नदी किनारे रामलाल के परिवार का मिट्टी के केलु वाला कच्चा घर है। बिजली कनेक्शन तो है लेकिन दिन में आधे समय बिजली गुल रहती है। गांव के सरकारी नल से पानी भरकर लाते हैं। पिता गणेश भोई दूसरों के खेत जोतते हैं तो मां कमला देवी खेत से मिलने वाले चारे को रोजाना चित्तौड़गढ़ ले जाकर बेचती है। रामलाल के माता-पिता दोनों का मजदूर कार्ड भी बना हुआ है। कभी-कभार काम आ जाता है तो मजदूरी करने चले जाते हैं। रामलाल के अन्य पांच भाई बहन है, जिनमें से दो बहनों की शादी हो चुकी है।

बेटे ने आंखें खोली
पिता गणेश भोई कहते हैं कि हमारे समाज में पढ़ाई को इतना महत्व नहीं देते और बेटियों को पढ़ाने के लिए तो समाज सख्त खिलाफ हैं। बेटे ने हमें पढ़ाई का महत्व बताया। अब वह डॉक्टर बनने रहा है तो हमारी खुशी की सीमा नहीं है। अब समाज और गांव वाले कहते हैं कि रामलाल की जिद पूरी हो गई, वो डॉक्टर बन रहा है। पांच बच्चे हैं, अभी छोटी बेटियां पढ़ रही हैं। दो बेटियों की शादी हो चुकी है। बेटियों की अच्छी पढ़ाई का प्रयास करेंगे।”

Kunal Gupta
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