Sawan;भगवान शिव को प्रसन्न करने का महीना है सावन, शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से दरिद्रता होती है दूर’
Sawan;बांका।शंभूगंज| सावन का महीना भगवान शिव को प्रसन्न करने का महीना है। एक लंबे समय बाद सावन माह प्रारंभ होते ही भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्त क्या-क्या जतन नहीं करते हैं। सावन के महीने में भोलेनाथ को खुश करने के लिए कई चीजें शिवलिंग पर चढ़ाने की परंपरा है। इसमें बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे चढ़ाने से शिव भक्तों की अधूरी मनोकामनाएं भी भोलेनाथ पूरी कर देते हैं। पंडित अमरकांत मिश्रा ने बताया कि शिवपुराण में वर्णित है कि सावन मास में सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से एक सौ कन्यादान के बराबर फल मिलता है।
शिवलिंग का बेलपत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है, और सौभाग्य का उदय होता है। बेलपत्र से भगवान शिव ही नहीं, बल्कि बजरंगबली भी प्रसन्न होते हैं। शिव पुराण के अनुसार घर में बेलपत्र वृक्ष लगाने से पूरा कुटुम्ब विभिन्न प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाता है। जिस घर में बेल वृक्ष होता है उसे काशी तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र माना गया है। ऐसी आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। जहां शंभूगंज के सोमेश्वर नाथ मंदिर, वैदिक कालीन गौरीनाथ मंदिर, भूमिहारानाथ मंदिर में सावन शुरू होते ही शिवलिंग पर बेलपत्र सहित कई चीजों को चढ़ाकर भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने में लगे हुए है। शास्त्रों में बताया गया है कि बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव का मस्तिष्क शीतल रहता है।
साथ ही बेलपत्र को तोड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान भी रखना अनिवार्य होता है। बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करते हुए मन ही मन प्रणाम करना चाहिए। चतुर्दशी, अष्टमी, नवमी चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। साथ ही संक्रांति काल और सोमवार को भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। बेलपत्र को कभी भी ट्राली समेत नहीं तोड़ना चाहिए। बेलपत्र भगवान को चढ़ाते समय समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही शिव को अर्पण करना चाहिए। कहते हैं बेलपत्र एक ऐसा पता है जो कभी भी बासी नहीं होता है।
भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग में लाए जाने वाले इस पावन पत्र के बारे में पंडित अमरकांत मिश्रा बताते हैं कि यदि नया बेलपत्र उपलब्ध न हो तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार पूजा किया जा सकता है। भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र, यानी चिकना सतह की तरफ वाला भाग्य स्पर्श कराते हुए चढ़ाना चाहिए। बेलपत्र को हमेशा अनामिका अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाया जाना चाहिए। शिवजी को बेलपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तो पर विशेष कृपा बरसाते है।