Tuesday, November 26, 2024
Patna

कारगिल युद्ध में शहीद वीर चक्र प्राप्त शहीद गणेश यादव का गांव बदहाल,लाखों की लागत बने स्कूल भवन हुआ जर्जर

कारगिल युद्ध के नायक वीर चक्र प्राप्त शहीद गणेश यादव का आज भी गांव बदहाली पर रो रहा है। लाखों की लागत से स्कूल, स्वास्थ्य भवन बना लेकिन आज तक इसमें जोट नहीं जली। कारगिल युद्ध के दौरान 29 मई 1999 को बटालिक सेक्टर के प्वाइंट 4268 पर चार्ली कंपनी की अगुवाई कर रहे बिहटा प्रखण्ड के पाण्डेयचक गांव के लाल, नायक गणेश यादव ने हंसते-हंसते अपनी जान न्योछावर कर दी थी।

ऑपरेशन विजय के दौरान उनके पराक्रम और बुलंद हौसलों के लिए सेना ने उन्हें वीर चक्र से नवाजा, लेकिन इस शहादत के 24 साल गुजरने को हैं फिर भी उनके घर में सरकार ने शहीद को सम्मान नहीं दिया। 30 जनवरी 1971 को बिहटा के पाण्डेयचक गांव निवासी रामदेव यादव और बचिया देवी के घर गणेश यादव का जन्म हुआ था। कारगिल दिवस जब भी आता है उनकी शहादत की घटना को याद कर पत्नी पुष्पा देवी, पिता रामदेव यादव और माता बच्चिया देवी का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जाता है।

पत्नी पुष्पा देवी ने कारगिल युद्ध के संस्मरण को याद करते हुए बताया कि शहीद नायक गणेश यादव एक महीने की छुट्टी पर घर आए थे।अचानक बुलावा आ गया। छुट्टी में कई दिन शेष बचे थे।अचानक लौटने की सूचना पर जब हम लोगों ने पूछा तो गणेश ने सिर्फ इतना बताया कि किसी जरूरी काम से बुलाया गया है। परिवार के लोगों को युद्ध की कोई जानकारी नहीं थी। उनके जाने के बाद जानकारी मिली, लेकिन फिर कोई बात नहीं हुई।

शव के साथ पहुंचे उनके दोस्त ने बताया कि गणेश बहुत बहादुर थे। दुश्मनों द्वारा गोलियां चलाई जा रही थी तभी एक गोली गणेश के दोस्त को लग गई। उन्हें छटपटाता देखकर गणेश आग बबूला हो उठे। भीषण गोलीबारी में भी निडर होकर दुश्मनों पर टूट पड़े। घंटों तक गोलियां चली। इसमें एक गोली उन्हें आ लगी, लेकिन उन्होंने गोली लगने के बावजूद दुश्मनों को मार गिराया था।

शहीद के अंतिम दर्शन में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी पहुंचे थे। गांव की बदहाली को देखते हुए घोषणाओं की झड़ी लगा दी थी। इनमें शहीद के नाम पर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क, अस्पताल और स्कूल सबसे अहम था। इससे पूरे क्षेत्र के लोग भी सरकार से प्रभावित और उत्साहित हुए।

सरकार ने अपने खर्चे से स्कूल का भवन बना दिया, लेकिन आज तक उसे प्राथमिक विद्यालय का दर्जा नहीं मिला। इससे अब भी उसमें एक अदद शिक्षक का इंतजार है। सरकार की उपेक्षा के कारण ग्रामीणों की मेहनत तबेले में तब्दील हो गई है। कारगिल युद्ध के 24 साल हो रहे हैं और इन 24 सालों में न जाने कितनी बार नई और पुरानी सरकार बनी हो। वहीं कारगिल युद्ध के नायक रहे शहीद गणेश प्रसाद यादव की याद में तत्कालीन सरकार ने उनके नाम पर बच्चों की पढ़ाई के लिए गांव में एक प्राथमिक विद्यालय का निर्माण कराया था। विद्यालय का भवन तो कुछ सालों में ही बनकर तैयार हो गया, लेकिन भवन बनने के बाद भी आज तक बच्चों को विद्यालय में पढ़ाई करने का नसीब नहीं हो पाया।

अब इस विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई के जगह ग्रामीणों द्वारा कब्जा कर पशु चारा (भूसा) रखने का काम आने लगा है। शहीद की मां बचिया देवी ने बताया कि हमारे लाल कारगिल युद्ध में देश की रक्षा के लिए अपनी जान देकर कीमत चुकाई थी, लेकिन उसके कीमत के वजह में आज तक सरकार से झूठे दिलासे मिलते रहे हैं। एक उसके नाम पर गांव में विद्यालय भवन तो बना है, लेकिन इसमें गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं मिल पाया।

Kunal Gupta
error: Content is protected !!