लखीसराय के बड़हिया टाल में पहली बार गरमा धान की खेती।
लखीसराय।बारिश नहीं होने से एक तरफ धान की रोपनी प्रभावित है। किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। जिससे जिले में वर्तमान समय में पानी का काफी अभाव है। जिले के हर प्रखंड सूखा की मार झेल रहा है। बावजूद बड़हिया प्रखंड में दो ऐसे किसान हैं जिन्होंने इस सूखे के दौर में भी धान की नई किस्म की खेती कर अन्य किसानों को एक राह दिखाई है । बारिश नहीं होने से एक तरफ धान की रोपनी प्रभावित है। किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन जिले में वर्तमान समय में पानी का काफी अभाव है। जिले के हर प्रखंड सूखा की मार झेल रहा है। बावजूद बड़हिया प्रखंड में दो ऐसे किसान हैं जिन्होंने इस सूखे के दौर में भी धान की कंचन प्रजाति की खेती कर अन्य किसानों को एक राह दिखाई है। कृषक दीपक सिंह के द्वारा एक सराहनीय प्रयास किया गया है। जिसे अन्य कृषक भी अगले वर्ष गरमा धान की खेती का क्षेत्र बढ़ने की संभावना है। इन दोनों किसानों ने समय का सदुपयोग और परती पड़ी भूमि को उपयोग में लाकर एक वर्ष में दो फसल काट रहे हैं। ये दो किसान ऐसे हैं जो धान की तैयार फसल को इस माह तक कटाई करेंगे । आत्मा, लखीसराय एवं कृषि विभाग के कर्मियों के तकनीकी सहयोग से लखीसराय के दो कृषक गरमा धान लगाकर अतिरिक्त फसल प्राप्त किए हैं एवं निजी स्त्रोत के माध्यम से, धान के बीज प्राप्त कर भूमि समतलीकरण के उपरांत निजी स्रोत के सिंचाई हेतु दो बोरिंग लगाने के बाद धान की खेती किए हैं। अन्य किसान भी अगर इस तरह जागरूक बने तो बड़हिया टाल में दो फसल प्रत्येक वर्ष प्राप्त कर सकते हैं। कृषक दीपक सिंह ने बताया कि कृषि विभाग के अनुमंडल कृषि पदाधिकारी अविनाश शंकर एवं आत्मा के परियोजना निदेशक के मार्गदर्शन से यह संभव हो पाया है। साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ शम्भू राय, डॉ सुधीर चौधरी एवं प्रक्षेत्र प्रबंधक अवनिकान्त के द्वारा समय-समय तकनीकी सलाह से गरमा धान के कंचन प्रजाति का बीज का उपयोग करते हुए, होली के समय बिचड़ा डाल दिए। पौधा तैयार होने के उपरांत अप्रैल माह में 53 एकड़ में बोआई हुई। गरमा धान की समय अवधि कुल 90 दिनों की है। 90 दिनों में फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है। जुलाई माह में 25 तारीख के बाद कटाई शुरू होनी है । फसल बहुत ही अच्छा तैयार हुई है। बड़हिया के किसान दीपक सिंह ने बताया कि लैंड लेजर लेवलिंग के प्रयोग से भूमि समतलीकरण के बादगरमा धान की बोआई अप्रैल माह में कराए थे। ताकि खेतों में पर्याप्त पानी रुक सके । उनकी फसल भी तैयार हो चुकी है। फसल कटाई के बाद खरीफ में जलजमाव के कारण खेती परती रहता है । इस तरह ये दोनों किसान एक वर्ष में दो प्रकार की फसल यथा मूंग एवं धन प्राप्त करेंगे। किसान श्री दीपक सिंह ने बताया कि जिले के सभी किसान खासकर वैसे किसान जो समय से गेहूं की फसल की कटाई कर लेते हैं वह गरमा धान का उपयोग कर अतिरिक्त फसल प्राप्त कर सकते हैं। इससे उनके आय के स्त्रोत भी बढ़ेंगे। साथ ही परती पड़ी भूमि का उपयोग भी होगा। कृषक ने बताया कि कुल लागत लगभग 10 लाख रुपये एवं अनुमानित उत्पादन लगभग 1200-1300 क्विंटल होने की संभावना है जिससे लगभग 25 लाख रुपये की आय होने की संभावना है ।