Tuesday, December 3, 2024
Lakhisarai

गांवों की विकास में सहकारी बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण : विपिन

 

लखीसराय। ग्रामीण विकास में सहकारी बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इस बैंक की नींव आपसी सहयोग पर आधारित है। उपरोक्त बातें ऑल बिहार को-ऑपरेटिव बैंक इम्पलाइज फेडरेशन के जेनरल सेक्रेटरी सह बिहार प्रदेश प्रोविंसीयल बैंक इम्पलाइज के कार्यकारिणी सदस्य विपिन कुमार ने विशेष बातचीत के दौरान व्यक्त की। उन्होंने सरकार से सहकारिता बैंक को सबल बनाने की भी गुजारिश की। श्री कुमार कहा कि प्रो. बैद्यनाथन कमिटी की अनुसंशा लागू की गई। सहकारी बैंकों को सबल बनाने की दिशा में कारगर प्रयास भी किए गए हैं। बावजूद वर्तमान परिवेश में सहकारिता आंदोलन कमजोर पड़ी है। यह बैंक राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग रूपों में किसानों, मजदूरों, छोटे-छोटे व्यापारियों एवं आमलोगों की सेवा में अपनी बेहतर भूमिका में सफल है।
उन्होंने कहा कि देशभर में 31 स्टेट को-ऑपरेटिव बैंकों की 807 शाखाएं कार्यरत है। राष्ट्रीय स्तर पर जब बिहार की तुलना अन्य राज्यों से करते हैं तो पाते हैं कि यहां भ्रष्टाचार, अपराध, भाई-भतीजावाद और प्रदेश सरकार की गलत नीतियों के चलते विकास की गति शिथिल पड़ी है।
उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बीच प्रदेश के विकास में सरकार की ठोस पहल आवश्यक है।
यूनियन नेता विपिन कुमार ने कहा कि बैंकिग सेवा उपयोग में रोज नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। पासबुक युग का समापन होने जा रहा है। उसके स्थान पर अब क्रेडिट कार्ड और मोबाइल बैंकिंग का डिजिटल युग आ गया है। स्वचालित टेलर मशीन, एटीएम, कंप्यूटर व लैपटॉप से बैंकों के गुणात्मक विकास में काफी तेजी आई है। इसलिए बैंकों के अस्तित्व की रक्षा के लिए जनसामान्य को आगे आना होगा। मजबूत ऋण प्रबंधन प्रणाली विकसित करनी होगी। ऋण वसूली के लिए सख्त,ठोस एवं कारगर कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी ने बैंकों के ट्रेडिशनल नेचर को बदलकर रख दिया है। इंटरनेट व मोबाइल बैंकिंग, डोर-स्टेप बैंकिग तो अब परंपरागत बैंकिंग सेवा का पर्याय बन चुका है। ऐसी स्थिति में लोगों को अपने में बदलाव लाना होगा। देश में बैंकों के निजीकरण की गहरी साजिश चल रही है। इसे हर-हाल में रोकना होगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंक एवं सहकारिता बैंक की अलग-अलग समस्याएं हैं।
यूनियन नेता ने कहा कि गलत वित्त पोषण किया जाना, बदतर वसूली होना, निबंधक को सहयोग समिति का ब्रह्मा, विष्णु, महेश कहे जाने की परंपरा, राजनीतिक दबाव का लगातार बढ़ना, कंडेंशियल नार्म्स लागू होना, डुअर कंट्रोल व्यवसाय में दक्षता की कमी आदि समस्याओं का संभावित सुधार जरूरी है। आधुनिक को-ऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट मूल रूप से सरजमीं पर लागू होना चाहिए। को-ऑपरेटिव बैंक पर केवल भारतीय रिजर्व बैंक का नियंत्रण होना चाहिए। ग्राहक सेवा उत्कृष्ट बनाया जाना चाहिए।
इस बीच बैंकों पर बढ़ते एनपीए को कम करने व वसूली का भी व्यवस्थित ढांचा होना चाहिए।
ऑल बिहार को-ऑपरेटिव बैंक इम्पलाइज फेडरेशन के प्रदेश डिप्टी जेनरल सेक्रेटरी विपिन कुमार ने कहा कि ट्रेड यूनियन एक सामाजिक संगठन है। इसका सृजन अपने सदस्यों की सुरक्षा के लिए हुआ है। सदस्यों की सतर्कता, सहभागिता एवं संघर्षशीलता ही ट्रेड यूनियन की असली ताकत है। उन्होंने कहा कि बैंक प्रबंधन का हमला तेज है। इसलिए सशक्त संगठन की आवश्यकता है। अंत में उन्होंने सदस्यों से सहकारी बैंकों की आधुनिकीकरण को देखते हुए मजबूती के साथ लामबंद होने की बातें कहीं । विदित हो कि श्री कुमार ऑल बिहार को-ऑपरेटिव बैंक इम्पलाइज फेडरेशन एवं बिहार प्रदेश प्रोविंसीयल बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन ने तमाम लोगों से सहकारिता बैंकों को सबल बनाने में साकारात्मक भूमिका निभाने की भी गुजारिश की है ।

Kunal Gupta
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