Thursday, December 26, 2024
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Dalsinhasarai Bhagwat Katha; कथा के प्रभाव से राजा परीक्षित को हुआ था मोक्ष की प्राप्ति : माध्वाचार्य 

दलसिंहसराय 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा;

 

 

दलसिंहसराय शहर के लोकनाथपुर स्थित मुरली मनोहर ठाकुवारी में चल रहे सात दिवसी श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य ,युवा कथावाचक माध्वाचार्य महाराज ने राजा परीक्षित संवाद, शुकदेव जन्म, कपिल संवाद का प्रसंग सुनाया। कथा वाचक ने शुकदेव परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वनों में काफी दूर चले गए। उनको प्यास लगी, पास में समीक ऋषि के आश्रम में पहुंचे और बोले ऋषिवर मुझे पानी पिला दो मुझे प्यास लगी है, लेकिन समीक ऋषि समाधि में थे,

 

 

इसलिए पानी नहीं पिला सके। परीक्षित ने सोचा कि इसने मेरा अपमान किया है मुझे भी इसका अपमान करना चाहिए। उसने पास में से एक मरा हुआ सर्प उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया। यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने नदी का जल हाथ में लेकर शाप दे डाला जिसने मेरे पिता का अपमान किया है आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प पक्षी आएगा और उसे जलाकर भस्म कर देगा।

समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित है और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है। देवयोग वश परीक्षित ने आज वही मुकुट पहन रखा था। समीक ऋषि ने यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प पक्षी तुम्हें जलाकर नष्ट कर देगा।

 

 

यह सुनकर परीक्षित महाराज दुखी नहीं हुए और अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां पर बड़े बड़े ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत मे व्यास नंदन शुकदेव वहां पर पहुंचे। शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर शुकदेव का स्वागत किया। शुकदेव इस संसार में भागवत का ज्ञान देने के लिए ही प्रकट हुए हैं। शुकदेव का जन्म विचित्र तरीके से हुआ, कहते हैं बारह वर्ष तक मां के गर्भ में शुकदेव जी रहे। एक बार शुकदेव जी पर देवलोक की अप्सरा रंभा आकर्षित हो गई और उनसे प्रणय निवेदन किया। शुकदेव ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। जब वह बहुत कोशिश कर चुकी, तो शुकदेव ने पूछा, आप मेरा ध्यान क्यों आकर्षित कर रही हैं। मैं तो उस सार्थक रस को पा चुका हूं, जिससे क्षण भर हटने से जीवन निरर्थक होने लगता है। मैं उस रस को छोडक़र जीवन को निरर्थक बनाना नहीं चाहता। इसके साथ-साथ वृंदावन से से रास लीला के कलाकारों ने शिव पार्वती का विवाह का झांकी का प्रस्तुति से उपस्थित लोगो का मन मोह लिया ।

 

 

कथा अयोजन को लेकर मुख्य यजमान राम शंकर झा , कार्यकर्ता गंगा नारायण झा, राधेश्याम झा, लक्ष्मी कांत झा, सीताराम जी, चंदन कुमार झा कुंदन कुमार झा ,अजय कुमार झा, विजय कुमार झा, और समस्त ग्रामवासी क्षेत्रवासी तन मन धन से इस कथा में सहयोग कर रहे हैं ।

Kunal Gupta
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