Friday, November 22, 2024
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Dalsinghsarai;जितना भक्त भगवान के बिना अधूरा है उतना ही अधूरा भगवान भक्त के बिना है: माध्वाचार्य

Dalsinghsarai ;दलसिंहसराय शहर के लोकनाथपुर स्थित मुरली मनोहर ठाकुवारी में चल रहे सात दिवसी श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचकअनिरुद्धाचार्य जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य ,युवा कथावाचक माध्वाचार्य महाराज ने भगवान की भक्ति में ही शक्ति है। भागवत कथा सही मार्ग दिखाती है, भक्ति करनी है तो ध्रुव और भक्त प्रहलाद जैसी करो। भगवान ने प्रहलाद के लिए अवतार लेकर हिरण्कश्यप का वध किया था। यदि भक्ति सच्ची हो तो ईश्वरीय शक्ति अवश्य सहायता करती है। भागवत कथा सुनना और भगवान को अपने मन में बसाने से व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन आता है। भगवान हमेशा पने भक्त को पाना चाहते हैं। जितना भक्त भगवान के बिना अधूरा है उतना ही अधूरा भगवान भी भक्त के बिना है। आगे महाराज ने कहा कि अहंकार, गर्व, घृणा और ईर्ष्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। यदि हम संसार में पूरी तरह मोहग्रस्त और लिप्त रहते हुए सांसारिक जीवन जीते है तो हमारी सारी भक्ति एक दिखावा ही रह जाएगी।

 

 

भागवत कथा में प्रहलाद चरित्र पुत्र एवं पिता के संबंध को प्रदर्शित करता है और बताता है कि यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं सकता। भयानक राक्षस प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद भी प्रह्लाद ने अपनी ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी और सच्चे अर्थों में कहा जाए तो प्रह्लाद द्वारा अपने पुत्र होने का दायित्व भी निभाया गया। उन्होंने कहा कि पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व है कि यदि उसका पिता कुमार्गगामी और दुष्ट प्रवृत्ति का हो तो उसे भी सुमार्ग पर लाने के लिए सदैव प्रयास करने चाहिए। प्रह्लाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहां रहते हुए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया लेकिन राक्षस प्रवृत्ति के होने के चलते हिरण्यकश्यप प्रहलाद की बात को नहीं मानता।

 

 

ऐसे में भगवान नरसिंह द्वारा उसका संघार हुआ उसके बाद भी प्रह्लाद ने अपने पुत्र धर्म का निर्वहन किया और अपने पिता की सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। इस दौरान कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया । कथा अयोजन को लेकर मुख्य यजमान राम शंकर झा , कार्यकर्ता गंगा नारायण झा, राधेश्याम झा, लक्ष्मी कांत झा, सीताराम जी, चंदन कुमार झा कुंदन कुमार झा ,अजय कुमार झा, विजय कुमार झा, और समस्त ग्रामवासी क्षेत्रवासी तन मन धन से इस कथा में सहयोग कर रहे हैं ।

Kunal Gupta
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