Sunday, November 24, 2024
Patna

मलमास के दौरान राजगीर के वैतरणी नदी को गाय का पूंछ पकड़ कर श्रद्धालु करते हैं भवसागर पार

मलमास मेला । 18 जुलाई से राजगीर में अधिक मास मलमास की शुरुआत हो गई है। इस दौरान एक माह तक राजगीर में सनातन धर्म के सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं यहीं निवास करेगें |

 

इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य का आयोजन नहीं किया जाता। राजगीर में अधिक मास का महत्व पितरों के लिए अत्याधिक माना जाता है | वो भी सिर्फ और सिर्फ यहीं होता है | इस माह के दौरान जिनका निधन हो गया है या पितरों ( हमारे पूर्वज जिनका निधन हो गया हो ) की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान तर्पण विधि और एवं श्राद्ध कर्म वैतरणी नदी पर किए जाते हैं।

 

यहां देख रेख करने वाले जगदीश यादव ने बताते हैं कि इस नदी का बहुत बड़ा महत्त्व है | भारतीय पौराणिक धर्मग्रंथों में खासकर राजगीर के पुरुषोत्तम मास मेले में भव सागर पार लगाने वाली नदी वैतरणी का महत्वपूर्ण उल्लेख है। चली आ रही परंपरा के अनुसार पुरुषोत्तम मास मेले के दौरान गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी नदी पार करने पर मोक्ष व स्वर्ग की प्राप्ति होती है।वहीं जाने अनजाने में हुए पाप से मुक्ति के साथ-साथ सहस्त्र योनियों मे शामिल नीच योनियों से मुक्तिमिल जाता है। पौराणिक वैतरणी नदी का इतिहास काफी गौरवमयी व समृद्धिशाली रहा है।

 

मलमास मेले के दौरान भारत के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु यहां गर्म कुंड के साथ साथ वैतरणी नदी में गाय की पूंछ पकड़ कर पार कर स्नान दान करते हैं जिससे मनुष्य को मरणोपरांत मोक्ष व स्वर्ग की भी प्राप्ति होती है। पुरोहित यहां एक माह तक गाय के बछड़ा को लेकर रहते हैं |

Kunal Gupta
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