मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण केस में CBI ने दर्ज की नई FIR,मुख्य आरोपी जेल मे
मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में सीबीआई ने शनिवार को अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज की है। यौन उत्पीड़न का मामला वर्ष 2018 में काफी चर्चा में रहा था। वर्ष 2020 में एक विशेष सीबीआई कोर्ट की ओर से इस मामले में ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ की ओर से ही बालिका गृह नाम से आश्रय गृह का संचालन किया जा रहा था। सीबीआई ने जांच में पाया है कि जिस शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर लड़की को परिजनों से 2015 में मिलाने का दावा कागजों में किया गया है, वह अबतक लापता है।एफआईआर के मुताबिक, पता चला है कि लड़की का पिता होने का दावा करने वाले शख्स का मतदाता पहचानपत्र फर्जी था। साथ ही लड़की के माता-पिता की पहचान करने वाला नथुनी मुखिया एक काल्पनिक व्यक्ति है। ऐसा कोई भी शख्स बताए गए गांव में कभी मुखिया रहा ही नहीं है।
यह भी सामने आया है कि 10 नवंबर 2015 को जारी आदेश पर सीतामढ़ी बाल कल्याण समिति की तत्कालीन अध्यक्ष मानसी समंदर और सदस्य रेणु सिंह की ओर से हस्ताक्षर नहीं किए गए थे। वह आदेश फर्जी था।गौरतलब है कि आश्रय गृह में यौन उत्पीड़न का मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की ओर से बिहार सरकार को सौपीं रिपोर्ट के बाद 26 मई 2018 को प्रकाश में आया था।”