नगर निगम के सफाई में लगे वाहन के माध्यम से कराई जा रही माइकिंग,स्कूल व कॉलेज के साथ अभियान में जुटी जीविका दीदियां
आरा, 14 जुलाई | जिले में 10 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम शुरू हो रहा है। जिसको लेकर व्यापक स्तर पर जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। जागरूकता अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ सहयोगी संस्थान पीसीआई लोगों को जागरूक करने में जुटा हुआ है। जागरूकता अभियान में अब अन्य विभागों का भी साथ मिलने लगा है। स्वास्थ्य विभाग के इस अभियान में अब नगर निगम, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, जीविका संस्थान के साथ साथ स्कूल और अन्य संस्थान भी शामिल हो चुके हैं। नगर निगम क्षेत्र के वार्डों में अब सफाई में लगे वाहनों के द्वारा माइकिंग कराई जा रही है। जिसमें कचरा उठाव के क्रम में वाहनों के माध्यम से एमडीए के दौरान अनिवार्य रूप से दवाओं का सेवन करने की अपील की जा रही है। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक किया जा सके। वहीं, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति ने जिले के सभी कॉलेजों को पत्र जारी कर एमडीए को सफल बनाने के निर्देश जारी किया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि एमडीए के दौरान वो स्वयं सभी कॉलेजों की निगरानी करेंगे। जिससे अधिक से अधिक विद्यार्थियों को एमडीए की दवा खिलाई का सके।
फाइलेरिया से बचना है तो अनिवार्य रूप से खाएं दवा:
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह प्रभारी जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने कहा कि जिले में एमडीए अभियान को सफल बनाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी जायेगी। लेकिन, यह अभियान तभी सफल होगा जब लोग जागरूक होकर अभियान में सहयोग करते हुए दवाओं का सेवन करेंगे। उन्होंने बताया कि यदि लोगों को फाइलेरिया से बचना है तो दवाओं का सेवन अनिवार्य रूप से करें एमडीएम अभियान के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स द्वारा अल्बेंडाजोल और डीईसी दवा खिलाई जाती है। यह दवाएं दो साल से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं व गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सबको खिलाई जाती है। सबसे जरूरी बात यह है कि लाभुकों को ये दवाएं फ्रंटलाइन वर्कर्स द्वारा अपने सामने ही खिलाने का निर्देश दिया जाता है। जिससे लोग आनाकानी न करें।
फाइलेरिया से बचाव की दवा है डीईसी:
पीसीआई की डीएमसी जुलेखा फात्मा खान ने बताया कि डीईसी फाइलेरिया से बचाव की दवा है जबकि अल्बेंडाजोल क्रीमिनाशक दवा है। इन दवाओं को 2 वर्ष से 5 वर्ष के बच्चों को डीईसी की 100एमजी की खुराब के हिसाब से 1 गोली एवं अल्बेंडाजोल की 1 गोली खिलानी है। जबकि 6 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को 200 एमजी के हिसाब से डीईसी की 2 गोली एवं अल्बेंडाजोल की 1 गोली देनी है। वहीं 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र वालो के लिए 300 एमजी के हिसाब से 3 गोली एवं अल्बेंडाजोल की 1 गोली खिलाई जाती है। उन्होंने बताया कि जिन लाभुकों में फाइलेरिया का परजीवी नहीं होता है, उन्हें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन, जिनके शरीर में माइक्रो फाइलेरिया का परजीवी मौजूद होता है तो उन्हें दवा खाने के बाद उनके शरीर में परजीवी मरते हैं तो कई बार सिरदर्द, बुखार, उलटी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं। जो बाद में स्वत: ही ठीक हो जाते हैं।