UPSC Success Story;सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने वाले रजत ने सेल्फ स्टडी कर चौथे प्रयास में UPSC में पाई सफलता
UPSC Success Story;कतरास के कुमार रजत ने यूपीएससी के लिए छोड़ा बीपीएसी का उत्कृष्ट पद।यूपीएससी में हासिल किया 423वां आल इंडिया रैंक।बोकारो स्टील लिमिटेड में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं रजत।एनआईटी जमशेदपुर से किया है बीटेक।पत्नी भी बीएसएल में करती हैं नौकरी।
आशीष सिंह, धनबाद: सरकारी स्कूल से पढ़े कुमार रजत ने वो उपलब्धि हासिल की है, जो यूपीएससी क्लीयर करने का सपना देख रहे युवाओं को प्ररेणा देगी। रजत ने जो सोचा वो हासिल कर लिया है। हालांकि ये इतना आसान नहीं था। लगातार तीन प्रयासों में असफल होने के बाद भी रजत ने हार नहीं मानी और इसी का परिणाम है कि वे अपने सपने को साकार कर पाये।
नौकरी के साथ यूपीएससी के लिए निकाला समय
रजत को यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। नौकरी कर परिवार को संभालने बाद भी रजत ने यूपीएससी की तैयारी के समय निकाला और अपने सपने को भी पूरा किया। यूपीएससी में ऑल इंडिया 423वीं रैंक लाने वाले कतरास के रजत यूपीएससी का सपना देखने वाले हर एक स्टूडेंट के लिए एक मिशाल हैं।
बीएसएल में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं रजत
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से मंगलवार को जारी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के फाइनल परिणाम में कुमार रजत को आशातीत सफलता मिली है। बोकारो स्टील लिमिटेड (बीएसएल) में बतौर मैनेजर कार्यरत कुमार रजत ने कहीं से भी यूपीएससी की कोचिंग नहीं की।
नौकरी से समय निकालकर आठ से दस घंटे करते थे पढ़ाई
रजत बोकारो में नौकरी करते हैं, नौकरी और परिवार को समय देने के बाद जो समय बचता था उसी में ही वे तैयारी करते थे। रजत को दिन में समय मिल नहीं पाता था, इसलिए अधिकतर देररात तक पढ़ाई करते थे। वे हर दिन करीब आठ से दस घंटे पढ़ाई को देते थे। यूपीएससी की परीक्षा में तीन बार असफलता मिलने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अखिरकार चौथे प्रयास में यूपीएससी क्लीयर किया।
सरकारी स्कूल से की है पढ़ाई
कुमार रजत के पिता रमेश कुमार कतरास में एलआइसी एजेंट हैं और मां सुधा देवी गृहिणी हैं। इनका घर भी यहीं एलआईसी कार्यालय कतरास में हीहै। स्कूली शिक्षा कतरास के सरकारी स्कूल डीएवी प्लस टू हाई स्कूल कतरासगढ़ से पूरी की। यहां से दसवीं कक्षा 84.6 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की। इसके बाद राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर अशोक नगर से 91.8 प्रतिशत अंकाें के साथ 12वीं पास की।
एनआईटी जमशेदपुर से किया है बीटेक
पढ़ाई में लगन और स्वजन का नाम रोशन करने का सपना लिए रजत ने अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (एआइईईई) क्रैक कर 2013 में एनआईटी जमशेपुर से बीटेक किया। इसके बाद छह महीने तक मारुति गुरुग्राम में नौकरी की। यहां मन नहीं रमा तो फरवरी 2014 में बीएसएल बोकारो में मैनेजर के पद पर ज्वाइन किया।
बचपन का सपना था यूपीएससी क्लीयर करना
इन सभी चीजों के साथ यूपीएससी क्लीयर करने का बचपन का सपना भी साथ-साथ चल रहा था। बोकारो में ज्वाइनिंग के साथ ही रजत ने इसकी तैयारी शुरू कर दी। इस दौरान रजत शादी भी हो चुकी थी। पत्नी निकी गुप्ता एनआइटी दुर्गापुर से बीटेक करने के बाद बीएसएल में कार्यरत थीं। पारिवारिक जिम्मेवारियां निभाते हुए बिना कोचिंग लिए खुद ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
सेल्फ स्टडी ने दिलाई सफलता
कुमार रजत ने बताया कि नौकरी और परिवार के बीच से ही समय निकालकर सेल्फ स्टडी करने लगे। पहले प्रयास में सफल नहीं हुए, दूसरा प्रयास भी असफल रहा, एक समय हिम्मत जवाब देने लगी। ऐसे में पत्नी और मां-पिता जी ने प्रोत्साहित किया।
पूरे लगन से तैयारी की और चौथे प्रयास में जाकर सफलता हासिल की। 423वें रैंक पर आइपीएस मिल जाएगा। इसी के साथ सपना भी पूरा जाएगा। कुमार रजत के भाई कुमार विपुल भी भाई की सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं। विपुल बीसीसीएल की वाशरी डिवीजन धनबाद में डिप्टी मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं।
यूपीएससी के लिए बीपीएससी छोड़ा
कुमार रजत ने बिहार लोक सेवा आयाेग (बीपीएससी) में 150वां रैंक हासिल किया था लेकिन अच्छी-खासी पोस्ट यूपीएससी के लिए छोड़ दी। रजत ने बताया कि यूपीएससी ही एकमात्र लक्ष्य था, इसलिए बीपीएससी में चयनित होने के बाद भी ज्वाइन नहीं किया।
अच्छे क्रिकेटर भी हैं रजत
पढ़ाई के साथ-साथ रजत एक अच्छे क्रिकेटर भी हैं। स्कूल और कॉलेज टीम की ओर से क्रिकेट खेल चुके हैं। इसके साथ ही बोकारो स्टील लिमिटेड के इंटर डिपार्टमेंट टीम से भी खेलते हैं। सरकारी स्कूल से स्कूली शिक्षा के सवाल पर रजत बताते हैं कि स्कूल सभी अच्छे होते हैं बस बच्चा पढ़ने वाला होना चाहिए। सरकारी स्कूल से पढ़कर कई आइएएस आइपीएस बने। मुझे गर्व है कि सरकारी स्कूल से पढ़ाई की है।