बाबा कारू धाम मंदिर में हैं 6 दान पेटी,4 साल बाद पहला बॉक्स खुला, तो निकले सड़े-गले नोट
बिहार के सहरसा जिले में बाबा कारू धाम मंदिर की दान पेटी को करीब चार साल के बाद खोला गया है. इसमें करीब 50 लाख रुपये के नोट होने की संभावना जताई जा रही है, जिसकी गिनती जारी है. इस बीच शुरुआती दो दिन तक चली गिनती में लाखों रुपये मूल्य के नोट सड़े-गले निकले हैं. आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारी एसडीओ के ध्यान नहीं देने की वजह से यह स्थिति बनी है.
जानकारी के मुताबिक, सहरसा जिले में कई वर्षों के बाद एक बार फिर बाबा कारू धाम की दान पेटियों को खोला गया है. दान पेटी में करीब 50 लाख रुपये के नोट होने की संभावना है. इसकी गिनती पिछले दो दिन से चल रही है, जो आने वाले करीब 15 दिन तक और चल सकती है.
अभी दो दिन तक चली गिनती में लाखों रुपये मूल्य के नोट सड़े-गले निकले हैं. इस कारण मंदिर के पुजारी, श्रद्धालु सहित स्थानीय लोग काफी आहत हैं. दरअसल, मंदिर और मंदिर की संपत्ति के रख-रखाव को लेकर न्यास बोर्ड गठित है. इसका अध्यक्ष प्रशासनिक अधिकारी एसडीओ है. मगर, पिछले 4 साल से इस पर ध्यान नहीं दिया गया. इस कारण नोटों का बुरा हाल हो गया है.
मंदिर परिसर में कुल छह दान पेटियां नोटों से भरी पड़ी हैं. इसमें से महज एक दान पेटी को ही अभी खोला गया है. इसकी गिनती पिछले दो दिनों से जारी है. वहां मौजूद दंडाधिकारी रामनाथ प्रसाद ने बताया कि आने वाले 15 दिनों तक नोटों की गिनती जारी रहेगी. इसमें करीब 50 लाख से ज्यादा रुपए सुरक्षित निकलने की संभावना है.
लापरवाही के चलते सड़ गए दान पेटियों में बंद नोट
वहीं, मंदिर के महंत बाबा उपेंद्र खिरहर का कहना है कि साल 2018 और 2019 के बाद किसी ने भी इस और ध्यान नहीं दिया. इसके लिए न्यास बोर्ड का गठन है. इसके बावजूद रखरखाव ठीक से नहीं चल रहा है. उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के द्वारा भगवान को पानी और दूध चढ़ाने के दौरान इसका कुछ हिस्सा दान पेटी में गिर जाता है. इस कारण नोटों का यह हाल हो गया है.
वहीं, न्यास बोर्ड के सचिव बैजनाथ खिरहर ने कहा कि कई वर्षों से दान पेटी को खोला नहीं गया था. दरअसल, न्यास बोर्ड का अध्यक्ष एसडीओ होता है. इसलिए उनके द्वारा ही नोट को जमा कराने के लिए बैंक में भेजने का प्रावधान है. मगर, ऐसा नहीं किया गया और इस कारण लाखों रुपये के मूल्य के नोट की बर्बादी सामने आई है.
बता दें, संत शिरोमणि कारू बाबा का यह मंदिर कोसी नदी के तट पर बसा है. इस मंदिर की प्रसिद्धि सीमा के उस पार नेपाल तक है. हर साल बड़ी संख्या में दोनों देश के श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने के लिए पूजा-पाठ करते हैं. यहां भक्तों की झोली भरती है. मंदिर में प्रवेश से पहले लोग कोसी में स्नान करते हैं, फिर मंदिर में प्रवेश करते हैं. बाबा कारू धाम मंदिर पशु देवता के रूप में भी विख्यात है.