Success Story;बेटी बोली डॉक्टर बनना है, मजदूर पिता ने झोंक दी सारी ताकत, NEET में मारी बाजी
Success Story;NEET UG 2023 के परिणाम घोषित होने के बाद टॉप करने वाले छात्र खुशियां मना रहे हैं. इन्हीं में कुछ कहानियां ऐसी भी हैं जो भले ही रैंक में टॉप पर ना हों लेकिन उनका NEET क्रैक करना ही अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन सभी के लिए शिक्षा पाना भी बड़ी चुनौती रही है. NEET परिणामों में पूरे देश में तीसरे स्थान पर रहे राजस्थान से भी एक ऐसी ही संघर्ष से सफलता तक की कहानी सामने आई है.
अलवर की रहने वाली नेहा के लिए भी नीट क्रैक करना आसान नहीं था. उनके मजदूर पिता ने कई तरह के प्रयास कर उन्हें पढ़ाया. अब नेहा ने अपने पिता को उनकी मेहनत का फल NEET क्रैक कर के दिया है. नेहा की ऑल इंडिया 3745 रैंक आई है और कैटेगरी वाइज उन्होंने 1215वीं रैंक प्राप्त की है. ये सफलता उन्होंने तीसरे प्रयास में हासिल की है. अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने 27000वीं रैंक प्राप्त की थी लेकिन वो संतुष्ट नहीं थीं और उन्होंने फिर से तैयारी करने का फैसला किया.
बेटों से कम नहीं बेटियां
अलवर के मुंडावर के चांदपुर गांव के रहने वाले नेहा के पिता विक्रम सिंह नरेगा मजदूर हैं. इसके साथ ही उन्होंने घर में कुछ मवेशी पाल रखे हैं. पिता ने मजदूरी कर बेटी को पढ़ाया. बेटी की इस सफलता से बेहद खुश पिता विक्रम सिंह ने बताया कि उनकी दो बेटियां हैं नेहा और नीशू. नेहा ने जब बताया कि वह डॉक्टर बनना चाहती है तो उन्होंने एक पल के लिए नहीं सोचा कि इतना पैसा कहां से आएगा. उन्होंने मेहनत की और उसे पढ़ने के लिए सीकर भेजा.
उन्होंने आगे बताया कि जब उनके घर दो बेटियों का जन्म हुआ तो परिवार और रिश्तेदार कहने लगे कि बेटा जरूरी है, उसके बिना वंश पूरा नहीं होता. लेकिन हमने साफ मना कर दिया, बेटियों को ही बेटे का दर्जा दिया. हमने कहा हमारी डॉ बेटियां हीं बेटों जैसी हैं. आज जब बेटी नेहा ने सफलता हासिल की तो हमारा पूरा परिवार इस से खुश है.
मेहनत से पढ़ाया बेटियों को
विक्रम सिंह ने बताया कि उनके पास कुछ मवेशी है. इन्हीं का दूध बेच कर घर का गुजारा होता है. साथ में नरेगा में मजदूरी भी करते हैं. नेहा की मां का कहना था कि मानो आज हर सपना पूरा हो गया है. दुनिया की सारी खुशी हमारी बेटी ने हमें दे दी है. नेहा और नीतू दो बेटियां हैं. नेहा ने दसवीं क्लास में बताया था कि वह डॉक्टर बनना चाहती है. उसके पिता ने इसके लिए जी तोड़ मेहनत की. बेटी को पढ़ने के लिए सीकर जिले में भेजा.
विक्रम सिंह ने बताया कि उन्होंने नरेगा में मजदूरी भी की है. उसका जॉब कार्ड भी बना हुआ है. इसके अलावा उनके पास खेती के लिए कुछ जमीन है और बाकी जमीन बांटे पर लेकर खेती करते हैं. इसके साथ ही घर में एक-दो गाय-भैंस हैं जिनका दूध बेचकर उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया है. उन्होंने कहा कि बच्चों के बेहतरीन रिजल्ट के बाद आर्थिक रूप से कमजोर होते हुए भी वह दुगनी ताकत महसूस करने लगे हैं.
आज बेटी ने रोशन कर दिया नाम
पढ़ाई में शुरू से होशियार रहो नेहा ने नवोदय स्कूल से दसवीं क्लास तक की पढ़ाई की. उसके बाद 11वीं क्लास से वो सीकर जिले में रहकर पढ़ने लगी. आज उन्होंने अपनी मेहनत से अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया है. नेहा के पिता ने बताया कि बेटी का जब परिणाम आया तो सुबह सभी लोगों को मिठाई खिलाई. उसके बाद नरेगा पर काम करने जाने के दौरान वहां पर सभी साथियों को मिठाई बांटी. बेटी की इस सफलता से आज ये मजदूर पिता फूले नहीं समा रहे.