“तंबाकू नियंत्रण कानून को मजबूती प्रदान करने में मीडिया की भूमिका” विषय पर परिचर्चा का आयोजन
“तंबाकू नियंत्रण कानून ।पटना– आज बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनोमिक स्टडीज (बी. आई. ई. एस.), पटना एवं बोलंटरी हेल्य एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बी. भी. एच. ए.), नई दिल्ली के संयुक्त
में “तंबाकू नियंत्रण कानून को मजबूती प्रदान करने में मीडिया की भूमिका” पर पटना के होटल मौर्या में प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों के संवाददाताओं के साथ तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम में इलेक्ट्रोनिक एवं मीडिया की भूमिका पर एक परिचर्चा की गयी। डॉ. प्यारे लाल, निदेशक, (बी. आई. ई. एस.), पटना ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं आज के विषय की गंभीरता से सभी को अवगत कराया। तत्पश्चात् आज के विशिष्ट अतिथि श्री नीतीश मिश्रा, मा. पूर्व मंत्री, बिहार सरकार एवं विधायक बिहार विधान सभा द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर सभा का विधिवत उद्घाटन किया गया।
श्री नीतीश मिश्रा, मा. पूर्व मंत्री, बिहार सरकार सह सदस्य, बिहार विधान सभा ने अपने अभिभाषण में कहा कि तंबाकू सेवन की भयावहता ऐसी है कि 100 कैंसर मरीजों में 40 मरीज तंबाकू सेवन के कारण पाये जाते हैं। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष धूम्रपान से बच्चों में साँस कि बीमारी तेजी से फैल रही है। इसके सेवन से ग्रास नली एवं फेफड़े का कैंसर होने का ज्यादा केस देखा जाता है अतः इसके रोकथाम के लिए कोटपा एक्ट 2003 जो बनी है उसका सख्ती से पालन होना जरूरी है। इसके लिए सरकार द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रम में विभिन्न गैर-सरकार संस्थाओं का सहयोग पूर्ण अपेक्षित है। कुछ गैर-सरकारी संस्थाएं जो इस दिशा में कार्य कर रही है उन्हें सरकार के द्वारा सहयोग दिया जाना चाहिए, जिसमें मीडिया कर्मियों की अहम् भूमिका है।
डॉ. सौरव, डब्लू, एच. ओ. बिहार के परामर्शी ने अपने अभिभाषण में कहा कि तंबाकू नियंत्रण का यक्ष्मा (टी.बी.) उन्मूलन करने में भी अहम् रोल है। उन्होंने बताया कि तंबाकू सेवन से 25 गुणा टी. बी. रोग बढ़ने की संभावनाएँ रहती हैं इसको उन्होंने विभिन्न सर्वेक्षण एवं डेटा के माध्यम से लोगों को जानकारी दी। उनका मानना है कि तंबाकू का सेवन अगर रोका जाए तो निश्चित ही टी. बी. के रोगियों में कमी आयेगी।
डॉ. (श्रीमती) सरिता शिवांगी, चिकित्सीय मनोवैज्ञानिक ने परिवार में व्यवहार परिवर्तन की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि परिवार के सभी सदस्यों के बीच तंबाकू के दुष्परिणामों पर नियमित परिचर्चाएँ होनी चाहिए, विशेषकर बच्चों के बीच ताकि बच्चे इसके सेवन से दूर रहे।