पोस्टमास्टर का बेटा बना अधिकारी, UPSC परीक्षा परिणाम में अमरोहा के लाल सौरभ को पहली बार में मिली 705वीं रैंक
यूपीएससी परीक्षा के परिणाम में जिले को एक अधिकारी और मिला है। गांव अतरासी के रहने वाले पोस्टमास्टर के बेटे सौरभ को 705वीं रैंक मिली है। मध्यम वर्गीय परिवार के सौरभ को यह सफलता पहले ही प्रयास में मिली है। इस उपलब्धि से स्वजन में हर्ष का माहौल है।
वहीं जिले में तैनात जिला समाज कल्याण अधिकारी (विकास) को भी 907वीं रैंक मिली है। रजबपुर के गांव अतरासी में रहने वाली चंद्रभान सिंह पोस्टमास्टर हैं। वर्तमान में उनकी तैनाती हसनपुर डाकघर में है। परिवार में पत्नी रेखा रानी के अलावा एक बेटा सौरभ व बेटी डाली हैं।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से की स्नातक की पढ़ाई
बेटे ने पांचवी तक की पढ़ाई सेंटमैरी स्कूल गजरौला तथा 12वीं तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय से की थी। उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से 2021 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। सौरभ का लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर सिविल सर्विस में जाना था।
लिहाजा उन्होंने खुद ही पढ़ाई जारी रखी तथा पहली बार परीक्षा में बैठे, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली। मंगलवार को आए परिणाम में उन्हें 705वीं रैंक मिली है। दोपहर में जब सौरभ व स्वजन को इसकी जानकारी हुई तो परिवार में खुशियां छा गई। उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया। मिठाई खिला कर खुशी का इजहार किया।
क्षितिज कुमार को मिली 907वीं रैंक
उधर विकास भवन में जिला समाज कल्याण अधिकारी (विकास) के पद पर तैनात क्षितिज कुमार ने भी यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की है। मूल रूप से बिजनौर के नगीना क्षेत्र के गांव भवानीपुर निवासी क्षितिज कुमार का यह तीसरा प्रयास था। उन्हें 907वीं रैंक मिली है।
किताबें और पापा मेरे सबसे अच्छे दोस्त
जीवन में संघर्ष क्या होता है, मैंने बेहद करीब से देखा है। पिता जी की मेहनत व मां तथा बहन का सहयोग मिला तो खुद ही घर पर अध्ययन किया। मन में कुछ करने का जज्बा था, सो आज सामने आया। अभी यह खत्म नहीं है। पहला प्रयास था, आगे भी मेहनत जारी रहेगी।
यूपीएससी परीक्षा में 705वीं रैंक प्राप्त करने वाले अतरासी निवासी सौरभ मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते हैं। संघर्ष के बारे में बताते हैं कि पुश्तैनी खेतीबाड़ी की जमीन तो है नहीं। पिताजी पहले पोस्टमैन थे। साइकिल से डाक वितरित करते थे।
मैंने उनकी मेहनत को करीब से देखा है। उन्होंने व मां ने अपनी हसरत को दरकिनार कर हम दोनों भाई-बहन को पढ़ाया। पांच साल पहले मेरठ में पोस्टिंग के दौरान पिताजी का एक्सीडेंट हो गया था। लगा था कि सबकुछ खत्म हो गया। बाद में पिताजी प्रोन्नति पाकर हसनपुर में पोस्टमास्टर के पद पर तैनात हो गए। परंतु उन्होंने परेशानी के दिनों में हमें हिम्मत नहीं हारने दिया।
डीएम से मिली अधिकारी बनने की प्रेरणा
सौरभ ने बताया कि वह 9वीं कक्षा में थे तो अमरोहा नगर में एक दुकान से मिठाई खरीदने गए थे। वहां अधिकारियों की टीम ने छापा मारा था। उस समय तैनात डीएम भी कार्रवाई में शामिल थे। नाम ध्यान नहीं है, लेकिन उनसे मैंने निडर होकर बात की थी। तभी से मन में ठान लिया था कि जीवन में अधिकारी बनना है।
बताया कि वह घर पर रहकर 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई करते थे। मोबाइल भी प्रयोग किया, लेकिन केवल काल करने या सुनने के साथ नोटस तैयार करने के लिए। यूट्यूब पर वीडियो देख कर नोट्स तैयार किए तथा खुद ही परीक्षा की तैयारी की। पिताजी व किताबें मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं।
छात्र-छात्राओं को चाहिए कि वह कभी निराश न हों, निरंतर मेहनत करते रहें। सफलता जरुर कदम चूमेगी। उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को सिर्फ लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखने की बात कही।