Monday, October 28, 2024
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कई सरकारों ने तो इसे देखा ही नहीं,हमारी सरकार ने हिम्मत की अब डेढ़-दो साल में हो जाएगा सर्वे-सेटेलमेंट:आलोक मेहता

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता, सबसे ‘टफ टास्क’ से मुखातिब हैं; जूझ रहे हैं। उनके विभाग को, जमीन का असली मालिक तय करने की जिम्मेदारी है, जिसके लिए भाई, भाई को मार देने में नहीं हिचकता; सारे घोषित रिश्ते, कानून की सलीब पर बरसों-बरस के लिए टंगने में भी नहीं लजाते। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते रहे हैं कि ‘बिहार में अपराध की 60% वारदातें जमीन के विवाद के चलते हैं।’

 

लेकिन, इसको रोकने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा बताए गए इकलौते उपाय-’सर्वे व सेटलमेंट’ को पूरा करने का वैसा अभियानी मोड नहीं है, जितनी खतरनाक समस्या यह है। इसकी बड़ी लंबी दास्तान है। हालांकि, आलोक मेहता का दावा है कि अब यह काम अगले डेढ़-दो साल में जरूर पूरा हो जाएगा। ‘दैनिक भास्कर’ के स्टेट ब्यूरो चीफ मधुरेश ने ऐसे कई मसलों पर उनसे बातचीत की। पेश है लंबी बातचीत के खास अंश …

 

सीएम लगातार कह रहे कि जमीन के सर्वे-सेटेलमेंट से 60% अपराध कम होगा। आखिर इसमें कितना समय लगेगा?

– इसके लिए जरूरी कर्मी नहीं थे। 2 महीने में और 10101 कर्मियों की बहाली होगी। अगले डेढ़-दो साल में सर्वे-सेटेलमेंट हो जाएगा।

 

डेढ़-दो साल में इतने लोगों से यह काम हो जाएगा?

– चाहिए तो और भी। हम इसके प्रयास में हैं। तत्काल इतनी बहाली से काम तेजी से होगा। पहले से भी काम चल रहा है।

 

इस काम को पूरा करने का टारगेट?

-2024।

 

लेकिन, विधानमंडल के बीते बजट सत्र में सरकार ने सदन में कहा था कि यह काम 2023 में ही पूरा हो जाएगा?

– दो चरणों में शुरू हुआ काम जारी है। बीच के दिनों में कर्मियों की बहाली हुई। और कर्मियों की जरूरत मानी गई, तो 10101 की बहाली होनी है। यह बहुत टफ काम है। घर-घर के झगड़े को सुलझाना है; उसे कानूनी रूप देना है। सबकुछ युद्धस्तर पर चल रहा है। डेढ़-दो साल में हो जाएगा।

 

खबर है कि दिसंबर 2022 तक सिर्फ 5 हजार गांवों में ही सर्वे-सेटेलमेंट हुआ। फिर अगले डेढ़-दो साल में बाकी 35 हजार राजस्व गांवों में कैसे हो पाएगा?

– नई नियुक्तियों का सीधा असर काम की रफ्तार पर पड़ेगा।

 

आपको नहीं लगता कि इतने बड़े काम को करने के लिए जितनी सक्रियता चाहिए थी, वह नहीं हुई?

-बेशक, शुरू में विभाग के स्तर से जैसा होना चाहिए था, उसमें कमी रही। अब ऐसा नहीं है। मैंने इसे अपनी इकलौती प्राथमिकता मानी हुई है। यह हमारी सरकार, हमारे मुख्यमंत्री की प्राथमिकता है। बिहार का सबसे बुनियादी काम है। मैं खुद इसकी बहुत क्लोज मॉनीटरिंग कर रहा हूं।

 

बिहार विशेष सर्वेक्षण बंदोबस्त नियमावली 2012 में बनी और काम इधर शुरू हुआ। इतनी देरी क्यों?

-शुरू में कुछ प्रक्रियागत दिक्कतें हुईं। बहुत सारे इंतजाम करने थे। यह कोई मामूली काम नहीं है। करीब सवा सौ साल पुराने जमीन के वैसे गड्डमड्ड/घचपच मसलों को सुलझाने का बेहद संवेदनशील काम है, जिसके सामने घर-परिवार-समाज के तय रिश्ते भी कोई मायने नहीं रखते; जिसके चलते दीवानी-फौजदारी मुकदमों और हिंसा का रिकॉर्ड है। असल में अंग्रेजी राज में 1885 के अधिनियम के आधार पर 1898 से 1920 के दौरान कैडस्ट्रल सर्वे हुआ। 1901-02 में सर्वे की बात है। 1950 के बाद तो कई जिलों में सर्वे हुआ ही नहीं। कई सरकारों ने तो इस तरफ देखा ही नहीं। हमारी सरकार ने हिम्मत की है। हम इसे क्रांतिकारी मुकाम देने में लगे हैं।

 

क्रांतिकारी मुकाम मतलब?

-जमीन से जुड़ा सबकुछ बिल्कुल बदल जाएगा। इसके असली मालिक तो तय होंगे ही, वैसे सारे इंतजाम शुरू हैं, जिससे लोग घर बैठे अपनी मिल्कियत को कायम रख सकें। बिखरे लैंड रिकॉर्ड्स एक जगह हो रहे हैं। इसका डिजिटलाइजेशन हो रहा है। 15 करोड़ रिकॉर्ड्स हैं। 1.3 करोड़ का डिजिटलाइजेशन हो गया है।

 

लेकिन इस काम में तो आपके विभाग के कर्मी भी शामिल रहते हैं?

-इस पर पूरा ध्यान है। इस पर रोक के लिए बहुत सारी व्यवस्था बदली है, नए इंतजाम भी किए गए हैं। पब्लिक की जरूरत से जुड़ा कमोबेश हर मसला ऑनलाइन है, हो रहा है। अब लोग डिजिटाइज्ड नक्शा घर बैठे लेने लगे हैं। 5 तरह के डॉक्यूमेंट ऑनलाइन उपलब्ध है। 18 तरह के डाक्यूमेंट्स (खतियान से लेकर एलपीसी तक) को अपलोड किया जाना है। फीफो (फर्स्ट इन फर्स्ट आउट) सिस्टम लागू है। सीओ (सर्किल अफसर), म्युटेशन को एक बार रिजेक्ट कर दिया, तो यह डीसीएलआर के पास चला जाएगा। इसके पेंडिंग मामले को ऑड-इवेन नम्बर के आधार पर रेवेन्यू अफसर और सीओ में बांट दिया गया है। कर्मियों की मॉनिटरिंग को एप है। जमाबंदी का अनुवाद 22 भाषा में होना है। जमाबंदी को आधार से जोड़ा जा रहा है। शिकायत पर तत्काल कार्रवाई होती है। अच्छे काम करने वाले पुरस्कृत होते हैं।

 

एक बड़ा टास्क उन लोगों को घर बनाने के लिए जमीन देने का है, जिनके पास जमीन नहीं है?

– अभी एक मोबाइल एप लांच हुआ है। इसमें ऐसे लोगों का ब्योरा होगा। यह काम अगले महीने की 30 तारीख तक हो जाएगा। पहले के ऐसे 24 हजार परिवारों को दिसंबर 2023 तक जमीन मिल जाएगी। सोर्स:भास्कर ।

Kunal Gupta
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