महाबोधि मंदिर;उखड़ रहा प्लास्टर, मूर्तियां हो रहीं खंडित… महाबोधि मंदिर में आई दरारें
महाबोधि मंदिर;गया जिले में मौजूद बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में कई जगह दरारें पड़ गई हैं. बोधगया टैंपल मैनेजमेंट कमेटी (BTMC) पर परिसर के देख-रेख की जिम्मेदारी है. मगर, कमेटी का मंदिर में पड़ रही दरारों पर कोई नहीं नहीं है, ऐसा लग रहा है.
मंदिर में छोटी-छोटी भगवान बुद्ध कई प्रतिमाओं के समीप दरारें पड़ी हैं, तो कहीं मंदिर में लगे लोहे के छड़ (रॉड) प्लास्टर झड़ने के कारण नजर ने लगी हैं. महाबोधी मंदिर में एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों दरारें नजर आ रही हैं. महाबोधी मंदिर और पूरे परिसर की देखरेख बीटीएमसी के अंडर होती है. वहीं, मरम्मत पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के गाइडलाइन के अनुसार की जानी है.
यह बोले बीटीएमसी सचिव
बीटीएमसी के सचिव ननजे दोरजे का कहना है कि महाबोधी मंदिर के मरम्मत का कार्य 2008 से 2010 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तरफ से किया गया. उसके बाद मंदर बीटीएमसी को सौंप दिया गया. इसके अध्यक्ष गया जिलाधिकारी (डीएम) हैं.
बिहार सरकार ने अन्य आईएएस को बीटीएमसी का सचिव बनाया गया है. 8 सदस्य बनाए गए है और इन सभी की सलाह पर कमेटी चल रहा है. वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के देखरेख में मंदिर का कार्य किया जाता है और मंदिर के बाहरी हिस्से को बीटीएमसी की देखरेख में कार्य किया जाता है.
पुरात्तव विभाग को लिखा गया है पत्र
मंदिर में आई दरारों पर ननजे दोरजे ने कहा कि इसके लिए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखा गया है. हमने कुछ काम 2008 में किया था. अब उसको दुबारा मेंनटेन करने का समय आ गया है. जहां-जहां पर दरार आई हैं उन जगहों पर साल 2001-02 में मरम्मत का काम किया गया था. हाल में ही एक पेड़ गिर गया था, जिसके चलते स्तूप में भी दरार आई थी. पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम आई थी. फिर रेनोवेशन कार्य किया गया.
दरार के कारण दिखने लगा रॉड.
महाबोधी मंदिर बिहार सरकार की संपत्ति: बौद्ध भिक्षु
वहीं, बोधगया के चकमा मोनेस्ट्री के बौद्ध भिक्षु प्रियपाल ने बताया की महाबोधी मंदिर बौद्ध भिक्षुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इससे बड़ा भगवान बुद्ध का आस्था का केंद्र कहीं नहीं है. मंदिर में आई दरारों की मरम्मत होनी चाहिए. मंदिर या को अनदेखी का शिकार हो रहा है या फिर मरम्मत कार्य ठीक ने नहीं किया गया है. बीटीएमसी को इस पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि महाबोधि मंदिर बिहार सरकार की बड़ी संपत्ति भी है. इसकी अनदेखा अनदेखी नहीं होनी चाहिए.
भगवान बुद्ध को मिला ज्ञान, मंदिर में सोने का गुंबद
ज्ञात हो की 531 साल पुरानी इस महाबोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को बोध (ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी. विश्व के कौन -कौन से बौद्ध भिक्षु और बौद्ध श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. बोध गया में सालाना 5 लाख से 7 लाख श्रद्धालु भगवान बुद्ध और पवित्र बोधि वृक्ष का दर्शन करने आते है.महाबोधी वृक्ष की देखभाल देहरादून के एफआरआई (FRI) के वैज्ञानिकों की-टीम कर रही है. महाबोधि मंदिर को 27 जून 2002 को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हैरिटेज घोषित किया गया था. मंदिर के ऊपर 290 किलोग्राम का सोने का गुंबद थाईलैंड के श्रद्धालुओं द्वारा लगाया गया था.( इनपुट – पंकज कुमार )