सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान घर-घर जाकर पांच वर्ष तक के बच्चों के बीच बंटी जाएगी ओआरएस पैकेट
सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा ।भभुआ- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु दर को शून्य स्तर तक लाने के उद्देश्य से व डायरिया से बचाव के लिए जिले में 16 जून से 30 जून तक सघन दस्त पखवाड़ा का आयोजन किया जायेगा. इस संदर्भ में सचिव स्वास्थ्य-सह-कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार संजय कुमार सिंह ने जिला सिविल सर्जन को पत्र लिखकर आवश्यक निर्देश दिए हैं. पखवाड़ा के दौरान संबंधित क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता अपने पोषक क्षेत्र में घर-घर जाकर पांच वर्ष तक के सभी बच्चों के बीच ओआरएस पैकेट का वितरण करेंगी. इसके साथ ही 5 वर्ष की उम्र तक के ऐसे बच्चे, जो दस्त रोग से ग्रसित होंगे, उन्हें लक्षित कर उनका समुचित उपचार किया जाएगा. इस कार्यक्रम के दौरान आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में डोर टू डोर भ्रमण कर माइक्रो प्लान तैयार करेंगी. जिसमें पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सूची बनाई जानी है. पखवाड़ा के दौरान पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जाएगा. पखवाड़े में प्रयास किया जायेगा कि किसी भी बच्चे में निर्जलीकरण की स्थिति में घर में ही तत्काल ओआरएस तथा जिंक टैबलेट के माध्यम से प्रबंधन हो सके.
दस्त नियंत्रण पखवारा के उद्देश्य
जारी पत्र में बताया गया है कि जून में आयोजित होने वाले दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का उद्देश्य जिले में दस्त के कारण होने वाले शिशु मृत्यु का शून्य स्तर प्राप्त करना है. डायरिया से होने वाले मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट की कमी होना है. ओ आर एस एवं जिंक के प्रयोग के द्वारा डायरिया से होने वाले मृत्यु को टाला जा सकता है. सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान अंतर विभागीय समन्वय द्वारा दस्त के रोकथाम के उपाय दस्त होने पर ओआरएस एवं जिंक का प्रयोग दस्त के दौरान उचित पोषण तथा समुचित इलाज के विभिन्न पहलुओं का क्रियान्वयन किया जाना है.
अति संवेदनशील क्षेत्र को प्राथमिकता
पत्र में निर्देशित है कि पखवाड़े के दौरान अति संवेदनशील क्षेत्र जैसे शहरी झुग्गी झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे वाले क्षेत्र, अनाथालय और ऐसे चिह्नित क्षेत्र, जहां दो-तीन वर्ष पहले तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाए गए हैं उनको विशेष प्राथमिकता दी जाएगी. मौसम में लगातार बदलाव के कारण डायरिया की संभावना बढ़ गई है.
यह है जिला का विवरण
जारी पत्र के अनुसार जिले के 3.91 लाख घर के करीब 2.87 हजार बच्चे 5 वर्ष से कम उम्र के हैं जिन्हें दवा खिलाई जा सकती है. इसके लिए जिले को करीब 3.22 लाख ओआरएस पैकेट की आवश्यकता होगी. साथ ही जिले को करीब 1.38 लाख जिंक की गोलियों की भी जरुरत पड़ेगी.
ये हैं डायरिया के लक्षण
मल का ज्यादा पतला या पानी जैसा होना ही डायरिया (दस्त) का पहला लक्षण है. इसके अलावा बच्चा बेचैन व चिड़चिड़ा रहा हो, अथवा सुस्त या बेहोश हो, बच्चे को बहुत ज्यादा प्यास लगना अथवा पानी नही पीना. चिकोटी काटने पर पेट के बगल की त्वचा खींचने पर धीरे-धीरे पूर्वावस्था में आना अर्थात त्वचा के ललीचेपन में कमी आना आदि डायरिया का ही कारण और लक्षण है.