समस्तीपुर में शहीद के गांव में नहीं है सड़क:गलवान घाटी में हुए थे शहीद, सड़क बनाने की हुई थी घोषणा
3 साल पहले समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीन नगर प्रखंड के गंगा दियारा इलाके का गांव सुल्तानपुर का अमन कुमार सिंह चीन सीमा पर लड़ाई करते हुए शहीद हो गए थे। अमन का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए गांव लाया गया था तो तत्कालीन सरकार के मंत्री महेश्वर हजारी ने गांव में सड़क देने की घोषणा की थी। इस दौरान तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील मोदी भी मौजूद थे।
अब तक नहीं बनीं पक्की सड़क
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के नेता और प्रशासनिक पदाधिकारियों का जमावड़ा हुआ था। आजादी के इतने सालों बाद भी गांव में पक्की सड़क नहीं है। पीएचईडी की ओर से मुख्य सड़क से उनके घर तक सड़क निर्माण की घोषणा की थी । लेकिन, यह घोषणा सिर्फ राजनीतिक घोषणा बनकर ही रह गई । अमन को शहीद हुए 3 वर्ष गुजरने वाले हैं। लेकिन गांव में सड़क निर्माण की दिशा में कोई कार्य नहीं हो पाया है। सरकार की इस उपेक्षा पूर्ण नीति पर शहीद के पिता सुधीर कुमार का दर्द छलका है।
सड़क नहीं बनने पर शहीद के पिता का दर्द छलका
शहीद अमन कुमार सिंह के पिता सुधीर कुमार सिंह बताते हैं कि चीन से लड़ाई करते हुए अमन शहीद हुए थे। अमन का पार्थिव शरीर गंगा दियारा के इस छोटे से गांव सुल्तानपुर में पहुंचा था। आजादी के करीब 75 साल बाद भी इस गांव में पक्की सड़क नहीं है ।आज भी लोग कच्ची सड़क के सहारे ही आने-जाने का काम करते हैं । बरसात के दिनों में लोगों को पानी में घुसकर गांव आना-जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में लोग परेशान हो रहे हैं। अब उनकी बहू शहीद अमन की पत्नी अंचल कार्यालय में नौकरी के लिए जाती है।
कब शहीद हुआ था सुल्तानपुर का अमन
17 जून वर्ष 2020 को पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारत चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में अमन सिंह शहीद हुए थे। 3 दिन बाद अमन का शव गांव पहुंचा था तो बड़ी संख्या में तत्कालीन सरकार के मंत्री और प्रशासनिक पदाधिकारी, विपक्षी दलों के नेता मौके पर पहुंचे थे। सभी लोगों ने अपने अपने स्तर से सहायता और गांव के विकास की बात की थी। लेकिन, समय के साथ सभी भूल गए। सुधीर कुमार सिंह बताते हैं कि सरकार चाहे तो क्यों नहीं सड़क बनेगी।
मोहिउद्दीन नगर के सीईओ ने क्या कहा
मोहिउद्दीन नगर के सीओ प्रभात रंजन बताते हैं कि मुख्य सड़क से शहीद अमल के घर तक जाने के लिए सरकारी सड़क नहीं है। पूरी तरह से निजी लोगों की जमीन है। जब शहीद का शव गांव लाया गया था तो लोगों ने सड़क के लिए जमीन देने की बात की थी। लेकिन बात जैसे-जैसे पुरानी हुई लोग जमीन देने से मुकर गए। स्थानीय सांसद ने सड़क निर्माण को लेकर एमपी फंड से राशि देने की बात कही थी।
वह फंड देने के लिए तैयार भी थे । प्रखंड प्रशासन की ओर से सड़क को लेकर प्रपोजल भी भेजा गया था । लेकिन जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण सड़क का निर्माण नहीं हो सका। क्योंकि जब तक भूस्वामी जमीन देने को तैयार नहीं होंगे, तब तक सड़क का निर्माण संभव नहीं है। यह सड़क लोगों की इच्छा पर ही निर्भर करता है। चुकी जमीन निजी है।