Rasaakadam of Dalsinghsarai;दलसिंहसराय के रसकदम में ऐसा क्या खास है कि कई देशों में हैं इसके प्रशंसक
Rasaakadam of Dalsinghsarai ।दलसिंहसराय।बंगाली मूल की मिठाई रसकदम बेहतरीन स्वाद और मिठास के लिए प्रसिद्ध है। देश में इसका नाम तो पहले से ही है, लेकिन अब अमेरिका, कनाडा, सऊदी अरब, इंडोनेशिया व नेपाल तक इसकी पहचान बन चुकी है। अमेरिका के कई इंडियन रेस्टोरेंट में तो यह मिठाई बनने लगी है। रसकदम को जो ऊंचाई मिली, उसका श्रेय दलसिंहसराय के कुछ लोगों को जाता है।
पोस्ता दाने की परत
छेना के ऊपर खोआ और उसपर लिपटी पोस्ता दाने की परत रसकदम की खूबसूरती व गुणवत्ता बढ़ाती है। दलसिंहसराय अनुमंडल निवासी निशांत चौधरी वर्ष 2010 में लॉ की पढ़ाई करने अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी पहुंचे। अपने साथ यहां से मिठाई भी ले गए थे। इसे अमेरिकी दोस्तों के साथ शेयर किया तो इसका स्वाद उन्हें काफी पसंद आया।
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अमेरिकियों को भाया रसकदम
वहीं, दलसिंहसराय शहर की अंकिता चमरिया वर्ष 2013 में पति आशीष चमरिया के साथ अमेरिका के सेंट लुइस पहुंचीं। वह भी यह मिठाई लेकर गईं तो अमेरिकियों को भा गया। उनके ग्रुप के कई लोग इसके स्वाद के मुरीद हैं। अमेरिका के उनके दोस्त कैल्बिम रसकदम का स्वाद नहीं भूलते। कहती हैं कि अब तो अमेरिका के कई इंडियन रेस्टोरेंट में यह मिठाई भी बनने लगी है। हालांकि, यह भारतीय स्वाद से पूरी तरह अलग होती है।
उपमुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री भी इसके मुरीद
रसकदम बनाने वाले चमनलाल साह बताते हैं कि दलसिंहसराय में ही प्रतिदिन इसकी बिक्री चार सौ किलो तक है। यहां के 35 से 40 दुकानों में यह बनती और बिकती है। चार सौ रुपये प्रति किलो इसका रेट है। उनका कहना है कि उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से लेकर स्थानीय सांसद व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय भी इसे पसंद करते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की भी यह पसंदीदा मिठाई है।
#raskadum,#roshkodom otherwise a bengali sweet,very popular in erstwhile bengal,including bangladesh,is a chenna rosogullah covered in khoya and poppy seeds.this one from dalsingsarai,samastipur is very famous and sought after in bihar. pic.twitter.com/Tu5BtCbteh
— Sanjay Kumar (@sanjayjavin) June 20, 2021
इस तरह समस्तीपुर पहुंची यह मिठाई
करीब सौ वर्ष पहले बंगाल से अपने मित्र से रसकदम बनाने के गुर सीखकर दलसिंहसराय लौटे बाबा हलवाई ने सबसे पहले इसे बनाने की शुरुआत की थी। उनसे सीखकर अन्य ने बनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यह मिठाई यहां की पहचान बन गई।
रसकदम बनाने के लिए सबसे पहले छैना बनाया जाता है. कॉर्न फ्लोर और पीला रंग डालने के बाद कुकर में चीनी और 2 कप पानी डालकर उबलने के लिए रख दीजिए, चीनी को पानी में घुलने तक पका लीजिये, चाशनी में केसर के धागे डाल दीजिये और चाशनी में उबाल आने दीजिये. पास्ता दाना को भून लीजिए.दाना ड्राई होकर हल्का ब्राउन हो जाए तो मावा में पाउडर चीनी डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लीजिए.
अब मावा से लड्डू के आकार के लगभग 11 छोटे-छोटे गोले तोड़ लीजिए. एक गोले को उठा कर इसको चपटा करके बढा़ थोड़ा बड़ा कर लीजिये. फिर इसमें एक रसगुल्ला रखकर चारों ओर खोया से बंद करके गोल लड्डू का आकार दे दीजिए. इस गोले को भूने पोश्ता दाने में लपेट कर थाली में रख दीजिए सारे रसकदम इसी तरह बनाकर तैयार कर लीजिए. रसकदम को 1 घंटे के लिए फ्रिज में रख कर उसके बाद सर्व कीजिए. रसकदम फ्रिज में रखकर 3-4 दिन तक खाये जा सकते है.