तांगा-बैलगाड़ी युग से 111 साल में मेट्रो सफर की ओर अपना बिहार,RBO का काम शुरू,जल्द मिलेगा सुविधा
पटनावासी टमटम और पानी के जहाज से लेकर इलेक्ट्रिक और सीएनजी बस, हवाई जहाज तक का सफर तय कर चुके हैं। जल्द ही मेट्रो का सफर तय करेंगे। चौड़ी-चौड़ी सड़कों के बीच फ्लाइओवर का जाल बिछ गया है। सौ से अधिक पार्कलोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं। गंगा के तट पर बसे पटना के नगरीय सेवा में 20 वर्षों के दौरान बड़े पैमाने पर बदलाव दिखा है। 1952 में स्थापित पटना नगर निगम बिहार के स्थापना के समय पटना सिटी नगरपालिका के नाम से जाना जाता था।
पटना सिटी नगरपालिका के अध्यक्ष स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद भी रह चुके थे। 1952 में पटना नगर निगम की स्थापना हुई तो वार्डों की संख्या दो थी। दो से 17, फिर 27, 37 पर पहुंचा। 1978 में हुए चुनाव में वार्डों की संख्या बढ़कर 52 पर पहुंच गई। 2002 में 72 तथा 2017 में वार्डों की संख्या 75 पर पहुंच गई है। नगर निगम महिला सशक्तीकरण का मजबूत केंद्र के रूप में उभरा है। करीब 75 वार्डों में से 49 पर महिला विजयी होकर आई हैं।
1982 से आटो रिक्शा आना शुरू हुआ 1982 से आटो रिक्शा आना शुरू हुआ। इसके पहले टमटम और रिक्शा मुख्य सवारी थी। बैलगाड़ी माल ढुलाई के साधन थे। वर्ष 2000 तक रिक्शा मांग अधिक थी। अब टमटम सवारी और बैलगाड़ी लुप्त हो गई है। टमटम का स्थान आटो रिक्शा ले लिया। निजी क्षेत्र में बसें भी सवारी का साधन बन गईं। तीन मई 2018 को परिवहन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव आया। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम नगर बस सेवा की शुरुआत की।
वर्तमान समय में 120 सीएनजी और 30 इलेक्ट्रिक बसें नगर बस सेवा में चल रही हैं। डीजल वाले आटो रिक्शा सीएनजी में कंवर्ट हो गया। वाहनों से उत्पन्न वायु प्रदूषण में कमी आ गई है। रिक्शा का स्थान ई-रिक्शा ले लिया। गली-मोहल्ले में जाने के लिए ई- रिक्शा उपलब्ध है। इसकी संख्या 15 हजार से अधिक है। शहर में आधुनिक बस पड़ाव बन गया है। मल्टी मोडल हब के निर्माण के बाद एक वर्ष बाद नगरीय सेवा में बड़े पैमाने पर बदलाव आने वाला है।
1980 से पहले 18 जलमीनार से होती थी, जलापूर्ति हैंडपंप और कुआं पेयजल का मुख्य स्रोत था। 1980 के पहले 18 जलमीनार से शहर में जलापूर्ति होती थी। 1982 से सीधे जलापूर्ति की परिपाटी शुरू हुई। एक-एक करके जलमीनार बंद हो गए। फिर से जलमीनार का निर्माण शुरू हो रहा है। शहर में पांच नए जलमीनार बनकर तैयार हो गए हैं। जलापूर्ति के लिए वाटर बोर्ड स्वतंत्र रूप से था, अब नगर निगम का जलापूर्ति प्रमंडल के नाम से जाना जाता है। घर-घर से निकलने वाले गंदे पानी के लिए शहर में पाइपलाइन बिछाई जा रही है। सीधे गंगा में गिरने वाले गंदे पानी को शुद्ध करके अन्य कार्य में उपयोग की तैयारी है।
सड़कों और फ्लाइओवर का जाल शहर की सड़कों की देखरेख नगर निगम किया करता था। अब अधिकांश सड़कों को पथ निर्माण विभाग अपने अधीन ले लिया। शहर में सड़कों और फ्लाइओवर का जाल बिछ गया है। 2005 के पहले सिर्फ रेलवे क्रासिंग पर ओवर ब्रिज हुआ करते थे। अब पटना शहर यातायात व्यवस्था सुगम बनाने के लिए सड़कों के ऊपरी भाग में फ्लाईओवर बन गया है। बेलीरोड पर लोहिया चक्र पथ योजना के तहत बिना सिग्नल के वाहनें दौड़ लगाने लगी। सड़कें चौड़ी हो गईं। शहर के बीचो-बीच अटल पथ के निर्माण के बाद कई मोहल्ले का स्वरूप बदल गया। जेपी गंगा पथ बनने से अशोक राजपथ में जाम की समस्या से स्थाई रूप से निजात मिल जाएगी। उत्तर बिहार के लोग सीधे एक्सप्रेसवे से एम्स तक जाने लगे। गली-गली में 82 हजार एलइडी स्ट्रीट लाइट लगा देने से रात में भी शहर जगमग कर रहा है।
101 पार्क बेहतर स्थिति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर 2009 के बाद पटना पार्कों का निर्माण होने लगा। पटना को पार्कों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। 101 पार्क बेहतर स्थिति में हैं। मार्निंगवाक की सुविधाएं हैं। बढ़ते आबादी के बीच पार्कों ने राहत दी है। सेहत सुधार का केंद्र बन गया है। राजधानी वाटिका, वीरकुंअर सिंह आजादी पार्क, ऊर्जा पार्क, शिवाजी पार्क सहित मोहल्ले-मोहल्ले में पार्क बन गए हैं। पार्कों में जिम और बच्चों के खेलकूद की भी सुविधाएं उपलब्ध हैं।