पोषण पुनर्वास केंद्र है कुपोषित बच्चों के लिए बेहतर विकल्प,रखा जा रहा ध्यान
सासाराम / 28 मार्च। बच्चों को कुपोषित होने से बचाने के लिए बच्चे के जन्म से पूर्व और जन्म के बाद तक रखरखाव के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलायी जा रही हैं । ताकि आने वाली पीढ़ी पूरी तरह से स्वस्थ हो। आंगनबाड़ी केंद्रों से लेकर सरकारी अस्पतालों तक सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बच्चे के जन्म से पूर्व गर्भवती मां एवं जन्म के बाद जच्चा और बच्चा दोनों के बेहतर पोषण के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं । इन्हीं योजनाओं के तहत सरकारी अस्पतालों में अति कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र(एनआरसी) संचालित है। जहां अति कुपोषित बच्चों की बेहतर रखरखाव और उचित पोषण के माध्यम से देखभाल की जाती है । कुपोषण की रोकथाम को लेकर सरकार द्वारा चलाए जा रहे पोषण पुनर्वास केंद्र को लेकर अभी भी लोगों में जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अभी भी अपने अति कुपोषित बच्चों को लेकर पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती नहीं होना चाहते हैं। जिसका मुख्य कारण 15 से 20 दिन तक मां का बच्चे के साथ पोषण पुनर्वास केन्द्र में रहना बताया जाता है। अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने के बाद मां को तीनों टाइम के संतुलित आहार के साथ-साथ क्षतिपूर्ति के रूप में प्रतिदिन के हिसाब से 100 रुपये दिए जाते हैं।
पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती बच्चे हो रहे स्वस्थ-
12 बेड के जिला पोषण पुनर्वास केंद्र में वर्तमान में अति कुपोषित तीन बच्चे भर्ती हैं । जो अब पहले से काफी बेहतर हैं । यह अब डिस्चार्ज होने वाले हैं । वहीं एनआरसी में अपने बच्चे को ले भर्ती हुई नौहट्टा प्रखण्ड की महिला ने बताया कि 13 दिन पहले जब वो अपने बच्चे को लेकर आई थी तो उसका वजन मात्र 2 किलो 400 ग्राम था, परंतु भर्ती के 13 दिन बाद बच्चे में सुधार हुआ। अब वह 2 किलो 700 ग्राम का हो गया है। साथ ही खाने और रहने की भी बेहतर व्यवस्था है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार फरवरी 2023 में कुल 8 बच्चों का इलाज किया गया। वहीं मार्च में 3 बच्चों का इलाज जारी है।
अति कुपोषित की पहचान के लिए आईसीडीएस को दिया गया है जिम्मा–
अति कुपोषित बच्चों की पहचान कर बच्चों को एनआरसी केंद्र में भर्ती करने के लिए आईसीडीएस विभाग को भी जिम्मा दिया गया है। ऐसे में पिछले 1 साल की बात करें तो आईसीडीएस रोहतास द्वारा दो बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भेजा गया है। कुछ सेविकाओं की मानें तो उनके पोषण क्षेत्र में अति कुपोषित बच्चों की पहचान तो की जाती है परंतु उनके माता पिता द्वारा एनआरसी में भर्ती कराने के लिए मना किया जाता है। सेविकाओं ने बताया कि अति कुपोषित बच्चों के परिजनों को लगातार जागरूक किया जाता है कि एनआरसी में ऐसे बच्चों की देखभाल के लिए बेहतर सुविधा के साथ साथ मां को सहायता राशि भी प्रदान की जाती है। वाहजूद इसके परिजन अपना घर औऱ काम छोड़कर अपने बच्चे को भर्ती नही कराना चाहते हैं। इतना ही नही वे लोग अपने बच्चों का अति कुपोषित में नाम देने के लिए मना करते हैं ।
सभी आगनबाड़ी केंद्रों को अति कुपोषित की पहचान करने का दिया गया है जिम्मा: सीडीपीओ
सासाराम की सीडीपीओ सुषमा ने बताया कि अति कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए आईसीडीएस को भी जिम्मा दिया गया है। उन्होंने बताया कि सासाराम प्रखंड में कुल 334 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं । सभी सेविकाओं को यह निर्देश दिया गया है कि अपने स्तर से अपने पोषण क्षेत्र में घूम घूम कर अति कुपोषित बच्चों की पहचान करें और इसकी रिपोर्ट तैयार कर विभाग को सौंपे। उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए आगे आयें और उसका उचित इलाज करवाएं।