बिहार में चार बहुओं के साथ सास ने भी दी परीक्षा, पहले पढ़ना भी नहीं आता था, अब इलाके में चर्चा
नालंदा: पढ़ने-लिखने या कोई चीज सीखने की उम्र नहीं होती है. अगर मन में इच्छा हो तो इंसान कभी भी कुछ कर सकता है. बिहार के नालंदा में सास और चार बहुओं ने कुछ ऐसा ही किया है जिसकी इलाके में खूब चर्चा हो रही है. रविवार को आदर्श चंडी मध्य विद्यालय में मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत नव साक्षर महिलाओं की बुनियादी महापरीक्षा का आयोजन कराया गया था. इस महापरीक्षा में जिले से 9 हजार 698 महिलाएं शामिल हुईं. सास के साथ-साथ उनकी चार बहुओं ने भी परीक्षा दी.
चारों बहुओं ने उठाया कदम
इस परीक्षा में एक साथ मां-बेटी भी शामिल हो जाती हैं क्योंकि आयोजन करने का उद्देश्य है कि महिलाएं अपना नाम, पता, जोड़-घटाव, पढ़ना-लिखना जान सकें. सास सिवारती देवी और उनकी चारों बहुएं पढ़ना-लिखना नहीं जानती थीं लेकिन इन्हें पढ़ाई करने की इच्छा थी. खुद ही उन्होंने कदम उठाया. चारों बहुएं सीमा देवी, शोभा देवी, वीणा देवी, बिंदी देवी ने बच्चा होने के बाद भी पढ़ना और लिखना जरूरी समझा. फिर घर के सदस्यों का साथ मिला. छह महीने में नाम लिखना और बोलकर पढ़ना सीख लिया. इसके बाद साक्षरता परीक्षा में शामिल हुईं.
45 साल तक की महिलाएं होती हैं शामिल
सास ने कहा कि उनकी बहुओं को पढ़ना-लिखना नहीं आता था, लेकिन उनके बच्चे अशिक्षित न हों इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया था. लिखना-पढ़ना जान सकें तभी वे अपने बच्चों को कुछ शिक्षा दे सकेंगी. बता दें कि इस परीक्षा में शामिल सबसे ज्यादा दलित, महादलित, अति पिछड़ा वर्ग के लोग शामिल होते हैं. परीक्षा में शामिल होने के लिए 45 साल तक की महिलाएं शामिल होती हैं. यह सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है. महिलाओं को अक्षर ज्ञान, हिंदी पढ़ने-लिखने के साथ-साथ गणित के छोटे-छोटे हिसाब जोड़ने का ज्ञान दिया जाता है.