Saturday, November 16, 2024
Patna

गर्मियों के मौसम और नमी के कारण दिमागी या चमकी बुखार की बढ़ जाती है संभावना

बक्सर, 31 मार्च | सदर अस्पताल में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम(एईएस) और जापानी इंसेफलाइटिस(जेई) के प्रबंधन पर जिला स्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा और संचालन जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार ने किया । प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रशिक्षक डीवीबीडीसी राजीव कुमार ने बताया कि एईएस मुख्य रूप से बच्चों की बीमारी है। हालांकि, एईएस से ग्रसित बच्चे तिरहुत प्रमंडल में ज्यादा हैं। फिलहाल अभी जिले के एईएस और जेई से जिले के बच्चे अछूते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहता है। चमकी आने की स्थिति में मरीज को करवट या पेट के बल लेटाना चाहिए। शरीर के कपड़े को ढीला कर दें। मरीज के मुंह में कुछ भी नहीं डालें। जिला स्वास्थ्य समिति एईएस और जेई के प्रति पूरी तरह से अलर्ट है। किसी भी तरह का कोई भी अप्रिय घटना न हो, इसके लिए प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है।

अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में यह बीमारी फैलती है :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि हर साल गर्मियों के दिनों में दिमागी या चमकी बुखार का खतरा बढ़ जाता है। इस बीमारी से एक से 15 वर्ष तक के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं। यह एक गंभीर बीमारी है। जो समय पर इलाज से ठीक हो सकता है। अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में यह बीमारी फैलती है। उन्होंने कहा कि चमकी को धमकी के तहत तीन बातों को जरूर याद रखना चाहिए। खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ। बच्चे को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाए और देखें बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं है। बेहोशी या चमकी को देखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से अस्पताल ले जाना चाहिए।

पीएचसी स्तर पर की जा रही विशेष व्यवस्था :
सिविल सर्जन डॉ. सुरेश कुमार सिन्हा ने कहा कि चमकी बुखार से बचाव के लिए जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भी खास इंतजाम किए जाएंगे। आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए एईएस के मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाए जाएंगे। वहीं, इसके लिए सूचीबद्ध जरूरी दवाइयों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी। ऐसी व्यवस्था की जा रही कि किसी भी स्थिति में कोई चूक न हो। साथ ही दवा की भी कमी न हो। व्यवस्था की पड़ताल विभागीय अधिकारियों द्वारा लगातार की जाएगी। उन्होंने बताया कि एईएस के प्रति जागरूकता के लिए स्कूलों में भी अभियान चलाए जाएं। इसके लिए जिले के सरकारी और निजी स्कूलों में शिविर लगाकार शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों को एईएस और जेई के प्रबंधन के संबंध में बताया जाए।

Kunal Gupta
error: Content is protected !!