समस्तीपुर के जावेद बने किसानो के लिए मिशाल, स्ट्रॉबेरी की खेती कर कमा रहे लाखो रूपए
समस्तीपुर के ताजपुर अंतर्गत फाजिलपुर (बघौनी) के मो.जावेद सदरी आजकल चर्चा में हैं । पिछले दिनों मुख्यमंत्री नितीश कुमार को भी उनके खेतों तक पहूँचना था लेकिन समयाभाव में ऐसा नहीं हो सका ।
वही पिछले दिनों बीजेपी नेता रंजीत निर्गुनी फाजिलपुर (बघौनी) के मो.जावेद सदरी से मिले।उन्होंने अपने फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा की जावेद जी ने प्रयोग के तौर पर चार कट्ठा स्ट्रॉबेरी 🍓(strawberries)लगाया है । साथ में एक बीघा शिमला मिर्च भी । ये दोनों फसल आमतौर पर अपने यहॉ के किसान नहीं करते । पिछले कुछ वर्षों में समस्तीपुर के कुछ किसानों ने नवाचार के तौर पर इन फसलों को आज़माया है और अच्छी आमदनी भी कर रहे हैं।
कल कुछ समय जावेद भाई एवं अन्य किसानों के साथ बीताया । ताजपुर-पुसा पथ पर 1909 में स्थापित “मदरसा इस्लामिया, शाहपुर बघौनी” के मुख्य द्वार से पुरब की दिशा में लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर जावेद सदरी जी , शोऐब सदरी जी, मरगुब सदरी जी, रैयान सदरी जी समेत कई किसान मिले।
स्ट्रॉबेरी की खेती समस्तीपुर में लगभग ५-६ किसान करते है । स्ट्रॉबेरी में लागत लगभग ३ लाख रूपये प्रति बीघा है और ५ वें महीने में खर्च काटकर न्यूनतम ३ लाख रूपये की आमदनी दे जाता है। शुरुआती तौर पर स्ट्रॉबेरी छोटे प्लॉट में करना श्रेयस्कर है। स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए मल्चींग को अपनाना लगभग अनिवार्य हो जाता है ।
मल्चींग से घास और कीड़ों से राहत रहती है, साथ ही नमी भी बना रहता है। स्ट्रॉबेरी का पौधा महाराष्ट्र से ऑनलाइन बुकिंग करने पर विभिन्न कंपनियाँ उपलब्ध करवाती हैं। लगाने का उचित मौसम सितंबर-अक्तूबर है। जावेद बताते हैं कि अभी जितना स्ट्रॉबेरी होता है वह ताजपुर के एक दुकान में ही खपत हो जाता है।
शिमला मिर्च कुछ लोग पॉलीहाउस में उगाते हैं तो कुछ किसान मल्चींग करके । शिमला मिर्च में लगभग १.५ लाख रूपये प्रति बीघा का खर्च आता है और 7-8 महीने में खर्च काटकर लगभग २.५ लाख रूपये का आमद हो जाता है। स्थानीय सब्ज़ी मण्डी में शिमला मिर्च आसानी से बिक जाता है। वैसे भी विगत वर्षों में रेस्टोरेंट से लेकर स्ट्रीट फ़ूड के विभिन्न व्यंजनों में शिमला मिर्च की मॉग बढ़ी है। शादीयों में भी मिक्स-वेजीटेबल के एक घटक के रूप में शिमला मिर्च स्थापित हो चुका है ।
जावेद जी दोनों फसलों की सिंचाई ड्रीप विधी से करते हैं । ड्रीप लगाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर 90 प्रतिशत अनुदान देती है। ड्रीप विधी से पटवन आसान होता है , साथ ही जल-स्तर को भी बनाये रखने में सहायता मिलती है।
चलते चलते गॉव के दो बुजुर्ग मो इमरान सदरी साहब एवं मो अरमान सदरी साहब ने अपने ज़माने के कई महत्वपूर्ण किस्से साझा किया ।जावेद जी ने करके दिखाया है । कई और युवा साथी किसानी में नवाचार करके कमाई तो कर ही सकते हैं , साथ में जीवन में प्रयोगधर्मिता का आनंद भी उठा सकते हैं।जावेद भाई एवं फाजिलपुर के सभी साथियों का आभार अपने अनुभव साझा करने के लिए ।
सच मे दोस्तों जावेद जैसे किसान आज किसानों के लिए प्रेणना का श्रोत बन गये है।अगर खेती एक अलग तरिके से की जाए तो यह किसनो को बेहतर रोजगार के साथ साथ खुद के लिए एक बड़ा बिजनेस से कम नही है।(स्ट्रॉबेरी की खेती)