Success Story: मां के लिए जज बेटे ने पूरी की PhD, जानिए बिहार के इस बेटे की कहानी
Success Story: मां-बाप अपने बच्चों को कामयाब की हर सीढ़ी चढ़ते देखना चाहते हैं. बिहार का एक बेटा जज बनकर अपने मां-बाप का नाम रौशन कर चुका था. लेकिन मां का सपना कुछ और भी था. मां चाहती थी कि बेटा पीएचडी करे. बस फिर क्या, जज बेटे ने अपने मां के इस ख्वाब को भी पूरा कर दिया.
ये कहानी है जज श्यामनाथ साह की. श्याम बिहार के समस्तीपुर जिले में न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम के तौर पर पोस्टेड हैं. अपनी मां का सपना पूरा करने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश भी लिखा.
श्यामनाथ ने लिखा, ”मां मैं तेरी जिद्द के आगे हार गया, तेरे सपने के लिए पीएचडी कर लिया, मां तुम प्रेरणा हो मेरी, बाबूजी आप आदर्श हैं हमारे, आज जो भी वजूद है मेरा वो है आप दोनों के सहारे, मां तुम्हारे चरणों में मेरी ‘डॉक्टर की उपाधि’ समर्पित है.”
बिहार के समस्तीपुर जिले में पोस्टेड न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्यामनाथ साह का मानना है कि जीवन में पढ़ाई को कभी रोकना नहीं चाहिए. लगातार पढ़ाई करने मस्तिस्क तेज रहता है. युवा पीढ़ी प्रतियोगिता परीक्षा के चक्कर में आगे कक्षा में दाखिला नहीं लेते. उनका एकमात्र उद्देश्य हो जाता है नौकरी लेना. यह एक नकारातमक मनोदशा है. शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य नौकरी पाना ही नहीं बल्कि समाज को समझना और सेवा करना भी है. उच्च शिक्षा से आप सामाजिक समस्या को अच्छे से समझ सकते हैं और उनका समाधान ढूंढ सकते हैं. आपमें गंभीरता और दृढ़ संकल्पता का जन्म होता है. आपके मस्तिष्क में नये विचारों का प्रवाह होने लगता है. आप सामाजिक परिस्थिति को देखकर श्रेष्ठकर निर्णय लेने मे सक्षम हो जाते हैं.
पीएचडी का सीरिया कनेक्शन
जज श्यामनाथ साह ने जब पीएचडी में दाखिला लिया उस वक्त रासायनिक हथियारों का प्रयोग सीरिया में बड़े पैमाने पर हुआ था. इस हथियार के प्रयोग से बहुत सारे बच्चे, बुजुर्ग, महिला और अन्य मारे गये थे. लेकिन प्रश्न यह उठा कि आखिरकार इस प्रकार के सामूहिक नरसंहार के हथियार का प्रयोग कैसे हुआ? आखिरकार कानून में क्या कमी है, जो इस प्रकार के हथियार का प्रयोग हो रहा है? इस प्रकार के हथियार का प्रयोग को कैसे रोका जा सकता है? राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय कानून में क्या सुधार करने की आवश्यकता है? इन्हीं सब पहलुओं को ध्यान में रखते हुए श्यामनाथ ने अपने शोध का विषय “सामूहिक विनाश के हथियारों पर अंतरराष्ट्रीय कानून का आलोचनात्मक मूल्यांकन” रखा.
बेहद दिलचस्प रहा है इनका का सफर
जज श्यामनाथ साह अररिया जिले के जोगबनी निवासी हैं और बेहद साधारण परिवार से आते हैं. 2007 में पीसीएस की तैयारी करने के लिए जोगबनी से पटना निकले. बीएचयू में एलएलबी का एंट्रेंस पास होने के बाद वहां पहुंचे और सन् 2011 में एलएलबी किया. इसके बाद 2011 में ही पुनः एलएलएम ( मास्टर ऑफ लॉ) का एंट्रेंस पास कर दाखिला लिया और सन् 2013 में एलएलएम किया. एलएलएम के दरम्यान ही सन् 2012 में नेट और जेआरएफ की परीक्षा पास कर ली. 2013 में एआईबीई परीक्षा पास की. दिसंबर 2013 में पीएचडी में एडमिशन लिया. इसके बाद 2017 में बिहार न्यायिक सेवा में चयन के बाद दिल्ली विश्वविधालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भी इनका चयन हो गया.
एक किताब और 17 लेख का हो चुका है प्रकाशन
श्यामनाथ की ”चाइल्ड ट्रैफिकिंग (नेशनल व इंटरनेशन लीगल स्टैंड)” नाम से 1 किताब व 17 लेख/आर्टिकल लिखे गए हैं, जो अलग-अलग पत्रिका मे प्रकाशित हुए हैं. जज साहब को जज और प्रोफेसर दोनों पदों पर नौकरी पीएचडी करने के दौरान ही लगी और इन्होंने जज के पद का चयन किया और नियुक्ति ले ली. लेकिन पीएचडी का कार्य पूर्ण नहीं हुआ था. इनकी माता की प्रबल इच्छा थी कि ये पीएचडी का शेष कार्य पूर्ण कर उपाधि धारण करें. मां की इच्छाओं को आदेश मानकर इन्होंने नौकरी करते हुए पीएचडी के लिए अपना शेष शोध कार्य को पूरा किया और 31 जनवरी 2023 को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय(BHU) द्वारा इनका रिजल्ट प्रकाशित किया गया. इनकी पत्नी अमीषा गुप्ता ने भी शोध कार्य में इनका सहयोग किया. ये बताते हैं कि पिता विजयशंकर साह और मां राजकुमारी देवी व भाई रामनाथ साह, बहन पूनम देवी के आशीर्वाद के कारण ही इस मुकाम पर पहुंच पाया हूं.