दलसिंहसराय में 87 वां त्रिमूर्ति शिव जयन्ती महोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया
दलसिंहसराय, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के वीआईपी कॉलोनी स्थित सेवाकेंद्र द्वारा थाना रोड में 87 वां त्रिमूर्ति शिव जयन्ती महोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया.कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समस्तीपुर से आये बीके सविता ने कहा कि शिवजयंती का त्योहार सर्व पर्वों में महानतम त्योहार है.यह पर्व निराकार परमपिता परमात्मा शिव के इस धरा धाम पर दिव्य अवतरण का यादगार पर्व है.शिवरात्रि शब्द में रात्रि शब्द अज्ञानता की घनघोर रात्रि का द्योतक है.जिसके लिए गायन है- ज्ञान सूर्य प्रगटा,अज्ञान अंधेर विनाश.
ज्ञान सूर्य परमपिता परमात्मा शिव के अवतरण के साथ काम, क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार- इन पांचों विकारों रूपी अंधकार का खात्मा होता जाता है और ज्ञान प्रकाश से जीवन में शान्ति,प्रेम, खुशी,आनंद और शक्ति का प्रादुर्भाव होने लगता है.यह धरा फिर से स्वर्ग बन जाती है.अभी वह परिवर्तन काल चल रहा है,जब हम स्वयं का परिवर्तन कर विश्व परिवर्तन के कार्य में परमात्मा के मददगार बन सकते हैं.उन्होंने कहा याद रहे अभी नहीं, तो कभी नहीं.
वही बीके तरुण ने अपने संबोधन में कहा कि शिवलिंग पर अक,धतूरे,भांग आदि चढ़ाने का अर्थ है अपने भीतर की विषैली वृत्तियों को परमात्मा शिव पर अर्पित करना.शिवरात्रि के अवसर पर व्रत रखने का अर्थ है मन,वाणी और कर्म की शुद्धि का दृढ़ संकल्प लेना.रात्रि जागरण का अर्थ है,
परमात्मा शिव के अवतरण के पश्चात् ज्ञान प्रकाश में जीना,अज्ञान अंधियारे में ही सोते ना रहना.इस प्रकार शिवरात्रि मनाना सही मायने में भगवान शिव को प्रसन्न करना है और अपने लिए सदा काल की सुख-शान्ति-समृद्धि सुनिश्चित करना है.कार्यक्रम को वार्ड पार्षद एवं पूर्व नगर नपं अध्यक्ष सुशील कुमार सुरेका,चिकित्सक डॉ.कुमार शुभम, सुशील कुमार चमड़िया ने भी अपनी बाते रखी.
स्वागत भाषण विनोद ठाकुर एवं धन्यवाद ज्ञापन राम विनोद सिंह ने किया.कार्यक्रम के अंत में सैकड़ों की संख्या में आगंतुक भाई-बहनों को परमपिता परमात्मा शिव बाबा के चित्र के साथ प्रसाद वितरित किया गया.कार्यक्रम में मुख्य रूप से विजय भाई,जयजयराम भाई,मनोहर भाई,मंटून भाई सहित कई लोग उपस्थित थे.