उधार के जूतों से नीलू ने खेला नेशनल लेवल, जीते कई अवॉर्ड; मगर आज भी नहीं हैं जूते, अब सरकार से गुहार
मुजफ्फरपुर. प्रतिभा किसी परिस्थिति का मोहताज नहीं होती. स्थिति चाहे जैसी भी हो प्रतिभा निखर कर सामने आ ही जाती है. मगर कई बार आर्थिक स्थिति के कारण कई प्रतिभाएं मुकाम तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती हैं. कुछ ऐसी ही कहानी मुजफ्फरपुर के सरैया इब्राहिमपुर की रहने वाली नीलू की है. नीलू राष्ट्रीय लेवल खेल चुकी एक रग्बी खिलाड़ी हैं, लेकिन हालात के आगे अब नीलू के हौसले पस्त होने लगे हैं.
बीए में पढ़ने वाली नीलू 2015 से रग्बी की खिलाडी है. नीलू ने अब तक कई दर्जन अवॉर्ड जीते. 2019 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर नीलू ने रग्बी खेला. तब उन्हें खेल सम्मान से नवाजा गया. उस दौरान उन्हें 11 हजार का नकद पुरस्कार भी मिला, दूसरी बार मदुरई में उन्हें तीसरा स्थान मिला.
जिला और राज्य स्तर पर कई दर्जन बार पुरस्कार जीतने वाली नीलू आर्थिक तंगी से परेशान है. नीलू के पिता नहीं हैं. नीलू के पास न तो अच्छे जूते हैं ना ही सही डाइट की व्यवस्था है. कई बार दूध के अभाव में नीलू ने मांड़ (भात का पानी) पीकर खेला है. वहीं शुरुआत के दौर में जूते के लिए पैसे न होने पर नीलू ने अपनी किताबें बेच दीं. फिर भी पैसे पूरे न हुए तो उधार जूते लेकर उसने खेला और अवार्ड जीता.
नीलू आज सरकार से मदद की गुहार लगा रही है. पैसे के अभाव में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. नीलू की माँ गीता देवी ने बताया कि बेटी बहुत आगे बढ़ना चाहती है, लेकिन आभाव में कुछ नहीं हो पा रहा है