घूमने आए हो सहरसा तो जरूर लीजिए सिलाव के खाजे का स्वाद,नहीं खाया तो पछताएंगे
खान-पान एक ऐसा कारोबार है जो शत-प्रतिशत सफलता की गारंटी देता है. इस कारोबार को शुरू करने में बहुत ही कम लागत लगती है. अगर आपके हाथों का स्वाद ग्राहकों के मन को भा जाए तो कहने ही क्या. यह कारोबार सिर्फ ईमानदारी, धैर्य, विश्वास और स्वाद आदि की बुनियाद पर टिका हुआ है. जितना आपके खान-पान का स्वाद, ईमानदारी और ग्राहकों के प्रति आपका विश्वास अच्छा होगा उतनी ही आपकी दूकानों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ेगी. अगर आप सहरसा घुमने आए है तो सिवाल का खाजा का स्वाद लीजिए.
महायोगिनी मेला में 15 साल से लग रही खाजा की दुकान
बता दें कि बिहार की सबसे मशहूर मिठाई खाजा ही है. जो कोई भी इसको एक बार खाता है तो इसका स्वाद जीवन भर तक नहीं भूलता है. इसके बारे में बता दें कि नालंदा के सिलाव की मशहूर खाजा की दुकान सहरसा के मत्स्यगंधा में हर साल लगने वाले महायोगिनी मेला में पिछले 15 वर्षों से लग रही है. बिहार में वैसे तो अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग रंग रूप व आकार के खाजा हैं, लेकिन इन सभी में सिलाव के खाजा की अपनी अलग पहचान है. अगर आप सिवाल आएं तो खाजा का स्वाद जरूर लें.
जानें कैसे तैयार होती ही खाजा मिठाई
सिलाव के व्यापारी छोटू पंडित ने बताया कि वो इस मेले में पिछले 15 वर्षों से खाजा की मिठाई बेच रहे हैं. यह मिठाई यहां की प्रसिद्ध मिठाई है. सिलाव खाजा बनाने के लिए पहले मैदा और घी का उपयोग करते हैं. दोनों को मिक्स कर बढ़िया से गूंथ लिया जाता है. इसके बाद 15 से 20 मिनट तक उसे छोड़ दिया जाता है. जब सभी प्रकिया पूरी हो जाती है तो लेप लगाकर उसकी कटिंग कर खाजा मिठाई तैयार की जाती है. उन्होंने बताया कि सिवाल का खाजा देश भर में प्रसिद्ध है. साथ ही बता दें कि आम तौर पर खाजा बहुत सॉफ्ट होता है और यह खाने में बहुत की स्वादिष्ट होता है.
बाजार में 220 रुपये किलो मिलता है खाजा
बता दें कि बाजार में खादा का दाम 220 रुपये प्रति किलो है. लेकिन बाजार में कई दुकान ऐसी है जो अपने अनुसार खाजा के दाम लगाती है. पिछले कुछ दिनों में इसका चलन काफी बढ़ा है. अब दुकानो के अलावा बाजारों में स्टॉल लगाकर मेले में बेचा जा रहा है. एक बार जो मेला आता है खाजा मिठाई की खुशबू लोगों को अपनी ओर खीच लाती है.