नए वैरिएंट से हड़कंप:काेराेना से लड़ने में समस्तीपुर सदर अस्पताल अक्षम
समस्तीपुर.सदर अस्पताल के 11 वेंटिलेटर किसी काम के नहीं; आईसीयू, डॉक्टर व टेक्नीशियन के अभाव में सब बेकार, मिशन-60 डे की समय सीमा समाप्त होने के बावजूद स्थिति में नहीं हुआ सुधार
चीन में कोरोना का नया वैरिएंट मिलने के बाद सरकार के निर्देश पर स्वास्थ्य महकमा ने अलर्ट जारी किया है। इसको लेकर सिविल सर्जन डॉ संजय कुमार चौधरी ने सभी मेडिकल ऑफिसर के अलावा प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी को तैयार रहने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि अभी वैसे कोई विकट स्थिति नहीं है। फिर भी हमें तैयार रहना है। उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल में पूर्व से पीकू वार्ड कार्य कर रहा है। यहां 10 आईसीयू बेड लगे हुए हैं। चार वेंटिलेटर भी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिला के पास ऑक्सीजन सिलेंडर के अलावा सदर अस्पताल व अनुमंडलीय अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट है। यहां पाइप वायरिंग से बेड पर ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि पूर्व से काेरोना सेंटर निर्धारित है। जरूरत के हिसाब से उसे चालू कर दिया जाएगा।
सिविल सर्जन ने कहा कि कोरोना से बचने के लिए मास्क का पहनना बहुत जरूरी है। इन दिनों लोगों ने मास्क पहनना छोड़ दिया है। वहीं सोशल डिस्टेंस का भी पालन नहीं कर रहे हैं। लोगों को काेरोना से बचने के लिए मास्क के साथ सोशल डिस्टेंस व कुछ-कुछ देर पर हाथ को सेनेटाइज करना जरूरी है। समस्तीपुर जिले में अभी कोरोना का काेई भी एक्टिव केस नहीं है। जिले में छह माह से कोरोना रिपोर्ट जीरो चल रहा है। जबकि जिले में कोराेना के कारण पहली व दूसरी लहर में 25246 लोग पीड़ित हुए थे। जिनमें से 262 लोगों की मौत हो गई थी। अभी ऑक्सीजन की भी समुचित रूप से व्यवस्था नहीं है। हाल ही में ऑक्सीजन की कमी से सदर अस्पताल में दलसिंहसराय के बुजुर्ग की मौत हो गई थी।
चीन में नया वैरिएंट मिलने से जारी किया गया अलर्ट, सीएस बोले- मॉडल अस्पताल का चल रहा निर्माण
वेंटिलेटर उपयोग के लिए चाहिए राउंड दी क्लॉक डॉक्टर व टेक्निशियन, जो नहीं है
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ गिरीश कुमार ने कहा कि एक तो सदर अस्पताल में आईसीयू वार्ड नहीं है। विभाग द्वारा अस्पताल को वेंटिलेटर मिला भी है तो टेक्नीशियन व डॉक्टर के अभाव में इसका उपयोग नहीं हो रहा। वेंटिलेटर का उपयोग से पूर्व राउंड दी क्लॉक डॉक्टर के साथ ही टेक्नीशियन चाहिए जो सदर के पास नहीं है। जिस कारण इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। अगर सदर अस्पताल में जितना वेंटिलेटर विभाग द्वारा उपलब्ध कराया गया है। अगर उसका उपयोग किया जाता तो गंभीर मरीजों को दरभंगा, पटना भेजने की जरूरत नहीं पड़ती।
उपयोग नहीं होने पर खराब हो जाता है
अभी सदर अस्पताल में 11 वेंटिलेटर हैं। जिसमें से दो कोरियन है। एईएस को लेकर यह सदर को मुख्यालय ने 2017 में दिया था। इसका उपयोग कोविड में किया गया था। इस वेंटिलेटर का सरकारी दर प्रति 10 लाख बताया जा रहा है। जबकि आम लोग खरीदने जाएंगे तो इसका मूल्य 50 लाख के करीब होगा। इसके अलावा भारत निर्मित वेंटिलेटर सात अन्य है। इसमें दो पीकू, तीन कोविड वार्ड के स्टोर तथा दो इमरजेंसी में पड़ा है। प्रति वेंटिलेटर सरकारी दर पांच लाख के करीब होगा। डॉक्टरों का मानना है कि अगर वेंटिलेटर का साल भर से अधिक बिना उपयोग रखा जाय तो यह खराब हो सकता है। यानी अस्पताल के कई वेंटिलेटर खराब हो चुके हैं।
पीकू वार्ड में 4 व इमरजेंसी में पड़े हैं 2 वेंटिलेटर
सदर अस्पताल में कुल मिलकर 11 वेंटिलेटर हैं। आईसीयू व टेक्नीशियन के अभाव में इसका उपयोग नहीं हो रहा। ज्यादा दिन और पड़ा रहा है तो यह खराब हो
^जल्द ही सदर अस्पताल को जिले का मॉडल अस्पताल के रूप में विकसित करना है। जल्द ही निर्माण शुरू होगा। नए भवन में आईसीयू वार्ड भी बनाया जाना है। वेंटिलेटर को उसी वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा। मरीजों को सारी सुविधा मिलेगी। वहीं आईसीयू के लिए अलग से डॉक्टर व कर्मियों की मांग मुख्यालय से की गई है। -संजय कुमार चौधरी, सिविल सर्जनसकता है। अभी चार वेंटिलेटर पीकू वार्ड, दो इमरजेंसी व दो कोरोना के समय बने डीसीएचसी वार्ड में पड़ा हुआ है। एईएस के लिए मिले तीन वेंटिलेटर को एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर भेज दिया गया।
सोर्स:दैनिक भास्कर ।