बिहार में निकाय चुनाव पर कोई संकट नहीं,अति पिछड़ा आयोग पर सुप्रीम कोर्ट में 20 जनवरी को सुनवाई.
पटना। बिहार राज्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग निकाय चुनाव में आरक्षण की सीमा निर्धारित करने के लिए डेडीकेटेड कमीशन है या नहीं, इस मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट में अगले साल 20 जनवरी को सुनवाई होगी। मतलब यह कि राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के अनुसार 18 और 28 दिसंबर को राज्य में निकाय चुनाव के तहत मतदान होंगे। वोटों की गिनती होगी। परिणाम घोषित होंगे और निकायों का गठन भी हो जाएगा। मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित रहने के कारण उम्मीदवार आशंकित थे। वे खुलकर चुनाव प्रचार भी नहीं कर रहे थे। अगली सुनवाई के लिए लंबी तारीख घोषित होने के बाद फिर से चुनाव के लटकने की आशंका फिलहाल समाप्त हो गई है।
क्या है मामला
सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की खंडपीठ ने सुनील कुमार की याचिका पर 28 नवंबर को आदेश दिया था कि बिहार राज्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग को निकाय चुनाव में अति पिछड़ों के लिए आरक्षण निर्धारित करने के लिए डेडीकेटेड कमीशन के रूप में अधिसूचित नहीं किया जाए। डेडीकेटेड कमीशन का गठन सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर किया गया है। हालांकि सरकार तक आदेश पहुंचने से पहले अति पिछड़ा आयोग ने रिपोर्ट सौंप दी थी। उसी आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग ने दो चरणों में निकाय चुनाव की तारीख भी तय कर दी। यह भी 28 नवंबर को ही हुआ।
असमंजस में उम्मीदवार
चुनाव की तारीख घोषित होने के बावजूद निकाय चुनाव के उम्मीदवार असमंजस में थे। क्योंकि उन्हें पता था कि अति पिछड़ा आयोग के डेडीकेटेड कमीशन होने न होने के सवाल पर सर्वोच्च न्यायालय की उसी खंडपीठ में पांच दिसंबर को सुनवाई होने वाली थी। आशंका यह थी कि कहीं सर्वोच्च न्यायालय चुनाव के संबंध में कोई नया आदेश न जारी कर दे। परंतु अब मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी 2023 को होगी। इसका मतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव की प्रक्रिया में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया। इधर, निर्वाचन आयोग की तैयारी ऐसी है कि नए साल के पहले सप्ताह में ही राज्य भर के सभी निकायों का नए चुनाव के आधार पर गठन हो जाएगा।
सरकार ने क्या कहा
इस विषय को राजनीतिक रंग देने पर नगर विकास विभाग ने सफाई दी। विभाग ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडीकेटेड कमीशन का दर्जा देने में कुछ भी गलत नहीं है। इसकी जानकारी पटना हाई कोर्ट को भी दी गई थी। मध्य प्रदेश सरकार ने भी पहले से गठित आयोग को डेडीकेटेड कमीशन का दर्जा दिया था। उसकी अनुशंसा पर आरक्षण का निर्धारण हुआ और निकाय चुनाव भी कराए गए।