Saturday, November 23, 2024
Samastipur

दलसिंहसराय;मध्य विद्यालय नगरगामा एंव अन्य जगहों पर दो दिवसीय नुक्कड़ नाटक कातिल खेत का आयोजन..

दलसिंहसराय/बेहतर खेती में होने वाले खर्च को कैसे कम किया जाए इसे लेकर रिजेनरेटिव बिहार मिशन के तहत ग्रीन वसुधा फाउंडेशन एवं सामग्र सेवा के तत्वधान से लोक मंच पटना की ओर से दलसिंहसराय प्रखण्ड क्षेत्र के मध्य विद्यालय नगरगामा, खोखसा चौक,लोहागिर, मध्य विद्यालय दलसिंहसराय में दो दिवसीय नुक्कड़ नाटक कातिल खेत का मंचन किया गया.
नाटक के रचयिता इस्तेयाक अहमद एवं मनीष महिवाल के निर्देशन में “कातिल खेत” नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति कर किसानों को जागरूक किया गया।।

कल तक जिस खेत से किसान सबके लिए पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन उगाते थे आज वही खेत कर्ज़दारी, घाटा और मौत उपजा रहे हैं। अधिक उत्पादन के मायाजाल में फँसकर किसान हर बार महंगे बीज, खाद और कीटनाशक दवाओं पर ज़्यादा से ज़्यादा ख़र्च करने को मजबूर हैं। इसके लिए उन्हें बारबार क़र्ज़ लेना पड़ता है और क़र्ज़ ना चुका पाने की हालत में कई बार उनकी ज़मीन भी उनसे छीन ली जाती है और कई बार उन्हें आत्महत्या तक करनी पड़ती है। रासायनिक खाद और कीटनाशक के लगातार इस्तेमाल से मित्र कीट के अलावा वे सूक्ष्मजीवी भी मर जा रहे हैं जो मिट्टी और उसमें उगने वाले भोजन को पोषण से भरपूर बनाने के लिए बेहद ज़रूरी हैं।

विश्व मिट्टी दिवस के अवसर पर प्रदर्शित नाटक क़ातिल खेत में इन जटिल बातों को बड़ी सहजता से दिखाया गया। दलसिंहसराय के …. से शुरू हुई इस नाट्य श्रृंखला के तहत समस्तीपुर, शिवहर, जमुई और लखीसराय आदि ज़िलों में अगले 10 दिनों तक पटना के नाट्यदल लोक पंच द्वारा इस नाटक का मंचन किया जाएगा। दलसिंहसराय का नागरिक संगठन ग्रीन वसुधा फाउंडेशन युवा शक्ति और समग्र सेवा के साथ मिलकर इसके स्थानीय मंचन का आयोजन कर रहा है।

लोकप्रिय अभिनेता और पत्रकार मनीष महीवाल ने नाटक के बारे में बताते हुए कहा, “आज हमारे अन्नदाता हमारे किसान भाई और बहन ख़ुद बेहाल हैं। उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना सिर्फ़ अनैतिक नहीं बल्कि अपने पैर पर ख़ुद ही कुल्हाड़ी मारने जैसा है। हमारी खाद्य और पोषण की सुरक्षा किसानों पर ही निर्भर है। इसलिए उनकी समस्याओं को उजागर करने के लिए हमारा नाट्यदल रीजेनेरेटिव बिहार के साथ मिलकर गाँव गाँव घूमकर इस नाटक को दिखा रहे हैं।”

नाटक देख रही महिला किसान अंजू कुमारी ने कहा, “इस नाटक में दिखाई गई हर बात सही है। हम भी किसान हैं और हमपर भी क़र्ज़ का बोझ बढ़ता जा रहा है। हमलोग चाहते हैं कि जैविक खेती अपनाएँ पर उसके लिए संसाधनों की कमी है।”
स्थानीय समन्वयक और ग्रीन वसुधा फाउंडेशन से जुड़े संकेत कुमार ने बताया कि उनकी संस्था लघु और सीमांत किसानों के बीच जैविक और प्राकृतिक ढंग खेती को प्रचारित करने के लिए पिछले कई सालों से काम कर रही है। हम महिला किसानों को उनके ख़ुद के उपयोग के लिए सब्जी, फल और जड़ी बूटी के उत्पादन में मदद कर रहे हैं। साथ ही उनके द्वारा तैयार किये जाने वाले अन्य कृषि उत्पादों की मार्केटिंग की भी कोशिश कर रहे हैं ताकि उनके परिवारों की आमदनी बढ़ सके और उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित हो।

इश्तेयाक़ अहमद लिखित और मनीष महीवाल द्वारा निर्देशित नाटक क़ातिल खेत का मंचन 2013 से लगातार जारी है। अभी तक इसकी 100 से अधिक प्रस्तुति हो चुकी है।

Kunal Gupta
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