Bihar Panchami पर झूम उठा ब्रज, निधिवन राज से बिहारी जी मंदिर तक उठी आध्यात्म की लहर.
वृंदावन। आस्था का रंग, या कहें सांवरे के रंग में रंगी आस्था…हां शायद यही कहना सही होगा। आज बिहार पंचमी। यानी अप्रकट के प्रकट होने का दिन। ये वो दिन है जब ब्रज की धरा पर अपने एक भक्त की भक्ति को साकार रूप देने के लिए राधा और माधव एक रंग, एक प्रतिमा में आ विराजे और नाम दिया गया ठाकुर बांके बिहारी जी का।
बिहारी जी की प्राकट्यस्थली पर दुग्धाभिषेक करते भक्त।
बांकेबिहारी के प्राकट्योत्सव पर सोमवार की भोर से ही वृंदावन में उल्लास छाया रहा। आराध्य की निधिवन राज मंदिर स्तिथ प्राकट्यस्थली पर भोर में भक्तों की भीड़ उमड़ी। ठीक पांच बजे सेवायत भिक्की गोस्वामी के सान्निध्य में वैदिक आचार्यों द्वारा उच्चरित वैदिक ऋचाओं के साथ बांकेबिहारी जी की प्राकट्यस्थली का दुग्धाभिषेक शुरू हुआ, मंदिर परिसर बांकेबिहारी के जयकारों से गुंजायमान हो गया। निधिवन की निकुंजों के मध्य प्राकट्यस्थली के दर्शन को भक्तों में उत्साह देखते बना।
निधिवन में राधे राधे के जयकारे लगातीं भक्त।
आराध्य की प्राकट्यस्थली का सेवायतों ने 5 कुंतल दूध, दही, घी, शर्करा, बूरा व जड़ी-बूटियों से महाभिषेक किया और आरती उतारी। आज बधाई निधिवन जी में, जन्मे बांकेबिहारी निधिवन जी में.., बधाई है, बधाई है बांकेबिहारी जी बधाई है.. और कुंजबिहारी श्रीहरिदास.. के जयकारों से वातावरण गुंजायमान हो उठा।
करीब एक घंटे चले महाभिषेक के बाद बधाई का सिलसिला शुरू हुआ। मंदिर में बधाई गायन और बांकेबिहारी के जन्मोत्सव की खुशी में भक्तों ने जमकर धमाल मचाया।
निधिवन में स्वामी हरीदास जी के पदों का गायन करते सेवायत।
भाेर के अंधेरे में पहुंचे श्रद्धालुओं ने निधिवन की निकुंजों में दीपदान किया और बधाई गायन पर जमकर नृत्य भी किया।
चांदी के रथ में विराज बधाई देने निकले स्वामी हरिदास
ठा. बांकेबिहारी के आने के इंतजार में वृंदावन की गलियों में बिखरे फूल, झूमते भक्त और भजनों के मधुर स्वरों ने माहौल में वह रस घोल दिया, जो जीवन की नैया पार लगा दे। सोमवार को बिहार पंचमी पर जन-जन के आराध्य ठा. बांकेबिहारी के प्राकट्योत्सव पर चारों ओर उल्लास छाया रहा। निधिवन से स्वामी हरिदासजी का चांदी के रथ में बैठ ठा. बांकेबिहारी को बधाई देने निकले तो पूरा शहर झूम उठा। नगरवासियों ने कदम-कदम पर स्वामी हरिदास की आरती उतारकर उन्हें भोग अर्पित किया और बांकेबिहारीजी के प्राकट्योत्सव की बधाई दी।
बिहारी पंचमी का महत्व
संगीत सम्राट स्वामी हरिदास की साधना से प्रसन्न बिहार पंचमी के दिन ही 542 वर्ष पहले ठा. बांकेबिहारी प्रकट हुए थे।