समस्तीपुर में अनूठी शवयात्रा…पीतल के पुतले के साथ तीन गांव के लोग पहुंचे श्मशान घाट.
समस्तीपुर,। Unique funeral procession: यह अनूठी शवयात्रा बिहार के समस्तीपुर में निकली। यहां के सिंघिया कुंडल गांव के कुशेश्वर प्रसाद सिंह 2007 में अपने गांव से अचानक गायब हो गए। उनके लापता होने के बाद से स्वजन काफी परेशान रहे। लगातार खोजबीन करते रहे। इस उम्मीद के साथ कि शायद वो लौट आएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पत्नी मालती देवी भी सुहागन की तरह रहीं। उन्हें भी इस बात की उम्मीद थी कि मेरे पति जहां भी होंगे सुरक्षित होंगे। 12 वर्षों बाद वैदिक पंडितों की सलाह पर उनके एकमात्र पुत्र पंकज सिंह ने शुक्रवार को उनका दाह-संस्कार कर दिया। इस दाह संस्कार के पूर्व पिता का पीतल का पुतला बनाया। गाजे-बाजे के साथ सिमरिया घाट पहुंचकर उनका अंतिम संस्कार किया। इस दाह संस्कार में 2-3 गांव के लोगों ने भाग लिया।
सुहागन की तरह ही रहीं पत्नी
बताया जाता है कि कुशेश्वर प्रसाद सिंह गांव के जमींदार थे। वे गांव में अपनी पत्नी, दो पुत्री और एक पुत्र के साथ रहते थे। उन दिनों वे कुछ बीमार चल रहे थे। अचानक से वे घर से गायब हो गए। उस समय उनकी आयु 69 वर्ष की थी। तबसे लगातार उनकी खोजबीन की जाती रही। सगे संबंधी से दूर के नाते-रिश्तेदार के घर पर भी उनकी खोज की गई। पर वे नहीं मिले। तबतक लगातार पत्नी मालती देवी भी सुहागन बनकर पूजा-पाठ करती रहीं। उनके मन में भी विश्वास था कि एक न एक दिन वे जरूर आएंगे। इस बीच पुत्र लगातार पंडितों और तांत्रिकों से भी संपर्क करता रहा।
पुतले को दी गई विदाई
अब जब उनकी आयु 81 वर्ष की अवस्था में पहुंच गई तो उन्हें अंतिम संस्कार की राय दी गई। शुक्रवार को पीतल के पुतले के साथ घर पर उन्हें विदाई दी गई। इसके साथ ही उनकी धर्मपनी ने वैधव्य जीवन को स्वीकार कर लिया। सिमरिया घाट पहुंचकर अंतिम संस्कार किया गया। मौके पर बिहारी सिंह, मुखिया संघ के अध्यक्ष चंद्रमणि सिंह उर्फ कारू सिंह, बलवीर सिंह, अमर सिंह, राजा राम सिंह, प्रदुम कांत सिंह, बबलू सिंह, विक्रम सिंह, रामसखा सिंह, नवल सिंह, गंगेश सिंह, राजू सिंह ,बाबुल कुमार सिंह, पप्पू सिंह, रणवीर सिंह, सुशील सिंह, संजू सिंह समेत दो-तीन गांव के ग्रामीण उपस्थित रहे।