नगर निकाय चुनाव: ओबीसी-ईबीसी आरक्षण पर नीतीश सरकार की हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका, 19 अक्टूबर को सुनवाई
पटना।
नगर निकाय चुनाव आरक्षण मामले में राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने पटना हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटिशन) दायर की है। राज्य सरकार की ओर से लगाई गई गुहार पर कोर्ट ने 19 अक्टूबर को सुनवाई करने की बात कही है। इससे पहले राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने की बात कही थी। हालांकि, मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को ही राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी थी। वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग ने सोमवार को पुनर्विचार याचिका दायर की।
राज्य सरकार की ओर से सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ से पुनर्विचार अर्जी पर जल्द सुनवाई करने की गुहार लगाई गई। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर 19 अक्टूबर को सुनवाई करने की बात कही।
हाईकोर्ट ने आरक्षण को गलत माना था
दरअसल, इसी माह चार अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में ओबीसी-ईबीसी को दिए गए आरक्षण को गैरकानूनी करार देते हुए आरक्षित सीट को अनारक्षित करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया था। गौरतलब है कि नगर निकाय का चुनाव दो चरणों में होना था। पहले चरण का चुनाव 10 अक्टूबर को तो दूसरे चरण का चुनाव 20 अक्टूबर को होना था।
ओबीसी सीटों को अनारक्षित मानते हुए चुनाव का आदेश
पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने सुनील कुमार व 17 अन्य द्वारा दायर याचिकाओं के मामले में 86 पृष्ठ का फैसला सुनाया था। इसमें राज्य चुनाव आयोग के सचिव को अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित सीटों को अनारक्षित मानकर फिर से अधिसूचित करते हुए चुनाव करवाने का आदेश दिया था। खंडपीठ ने कहा था कि यदि राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव के कार्यक्रम में परिवर्तन करने की जरूरत समझे तो कर सकता है।
तीन जांच अर्हताओं को पूरा करने का है आदेश
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में अति पिछडा वर्ग के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती। तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के राजनीति पिछड़ापन पर आंकडे जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफरिशों के अनुसार नगर निकायों में आरक्षण देने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं हो।