दशमी पर महिलाओं ने किया सिंदूर खेला,नम आंखों से दी मां दुर्गा को विदाई..
नवादा: शहर के एकमात्र रेलवे कॉलोनी में बंगाली रीति रिवाज के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. बुधवार को दशमी (Vijyadashami 2022) के दिन ही मां की विदाई के समय महिलाओं के द्वारा सिंदूर होली (Sindoor Khela) कार्यक्रम का आयोजन किया गया. आरती के बाद महिलाओं ने सिंदूर होली खेली और इस 72 साल पुरानी परंपरा का बंगाली समाज (Bengali Community) ने निर्वहन किया. बंगाली समाज की महिलाओं ने मां को समर्पित होने वाले सिंदूर को अपनी मांग में भरा और एक दूसरे के गालों में लगाया. विसर्जन से पहले पंडालों में सिंदूर खेला के दौरान पूरा माहौल सिंदूरमयी हो गया.
दशमी पर होता सिंदूर खेला
मान्यता है कि ऐसा करने से पति की उम्र लंबी होती है. वहीं माता को मिठाई खिलाने के बाद नम आंखों से उनको विदाई दी गई. समाज की अध्यक्ष चंद्रिका यादव के अनुसार मान्यता है कि मां दुर्गा की मांग भर कर उन्हें मायका से ससुराल विदा किया जाता है. उन्होंने कहा कि शहर में केवल रेलवे कॉलोनी में ही बंगाली रीति रिवाज के साथ पूजा अर्चना की जाती है. दूर-दूर से लोग बंगाली रीति रिवाज की पूजा देखने पहुंचते हैं. पूरे विधि विधान के साथ बंगाली ब्राह्मण के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है. इस दौरान रेलवे कॉलोनी में जितनी भी महिलाएं रहती हैं. सभी यहां पहुंचती हैं और मां का आशीर्वाद लेती हैं. आज के दिन को काफी खास माना जाता है इसलिए नवादा में एकमात्र रेलवे कॉलोनी में सिंदूर की होली खेली जाती है.
सुहागिन महिलाएं आपस में देती सौभाग्यवती होने की शुभकामनाएं
सुहागिन महिलाएं इस दिन पान के पत्ते से मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. इसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और एक-दूसरे को सौभाग्यवती होने की शुभकामनाएं देती हैं. कहा जाता है कि मां दुर्गा मायके से विदा होकर जब ससुराल जाती हैं तो सिंदूर से उनकी मांग भरी जाती है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 10 दिन के लिए अपने मायके आती हैं इसलिए जगह-जगह उनके पंडाल सजते हैं. इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है और दशमी पर सिंदूर की होली खेलकर मां दुर्गा को विदा कर दिया जाता है. विदाई के वक्त महिलाएं काफी भावुक हो गईं. नम आंखों से सभी ने मां को विदाई दी.